शिक्षित लड़की से ही देश आगे बढ़ सकता है

सिलीगुड़ी: स्कूल फिर से शुरू करना सोनम (काल्पनिक) के लिए असंभव था. स्थानीय एक एनजीओ की मदद से उसकी जीवन में नाटकीय परिवर्तन आ गया. बर्धमान के मांतेश्वर गांव की रहनेवाली सोनम 13 वर्षीय लड़की है. वह स्थानीय एक माध्यमिक विद्यालय में सातवीं कक्षा में पढ़ती थी. वह पढ़ाई में बहुत ही अच्छी थी. वह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2013 8:51 AM

सिलीगुड़ी: स्कूल फिर से शुरू करना सोनम (काल्पनिक) के लिए असंभव था. स्थानीय एक एनजीओ की मदद से उसकी जीवन में नाटकीय परिवर्तन आ गया. बर्धमान के मांतेश्वर गांव की रहनेवाली सोनम 13 वर्षीय लड़की है.

वह स्थानीय एक माध्यमिक विद्यालय में सातवीं कक्षा में पढ़ती थी. वह पढ़ाई में बहुत ही अच्छी थी. वह पढ़ाई पूरा कर जिंदगी में कुछ बनना चाहती थी. लेकिन ऐसे में उसकी माता-पिता ने उसकी शादी की सोच ली. लेकिन वह शादी से राजी नहीं हुई. उसने अपने पिता से स्कूल की पढ़ाई पूरा करने देने की इजाजत मांगी.

लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उसे 18 वर्षीय लड़के शमिम से शादी करवा दी गयी. इसके बावजूद भी उसके दिल में पढ़ाई-लिखाई कर आगे बढ़ने का सपना बरकरार था. ऐसे में उसे स्थानीय एनजीओ विक्रमशाला का साथ मिला. यह एनजीओ क्राई-चाइल्ड राइट्स एंड यू द्वारा संचालित है. विक्रमशाला के सदस्यों ने सोनम की पढ़ाई फिर से शुरू करवाने के लिए उसके पति व पिता से बातचीत की. विक्रमशाला एनजीओ की मदद से सोनम को एक नयी जिंदगी मिली.

उसे मौसा माध्यमिक शिक्षा केंद्र में आठवीं कक्षा में भरती कर दी गयी. फिर से स्कूल जा पाकर सोनम बहुत खुश हो गयी. ऐसी कई सोनम हैं, जो अपना पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं. हमारे देश में लड़कियों को पढ़ाई-लिखाई कर शिक्षित बनाने के बदले उनसे बचपन से ही मजदूरी, यौन शोषण का शिकार बनना पड़ता है. क्राई सूत्रों मुताबिक मात्र 18 प्रतिशत स्कूल ऐसा हैं जिसमें लड़कियों के लिए अलग से टॉयलेट होते हैं. लड़कियों का स्कूल विमुख होना यह भी एक बड़ा कारण है. क्राई का लड़कियों की शिक्षा में मदद व उनके विकास के लिए पहल करना सराहनीय है.

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