टाइटलर मामले में आरोपों पर अदालत का आदेश 18 नवम्बर को

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर और जेल में बंद कारोबारी अभिषेक वर्मा के खिलाफ अभियोग निर्धारित करने संबंधी आदेश आज अगले महीने के लिये स्थगित कर दिया. इस प्रकरण में सीबीआई ने टाइटलर और अभिषेक वर्मा को 2009 में कथित तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक जाली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 8, 2015 4:44 PM

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर और जेल में बंद कारोबारी अभिषेक वर्मा के खिलाफ अभियोग निर्धारित करने संबंधी आदेश आज अगले महीने के लिये स्थगित कर दिया. इस प्रकरण में सीबीआई ने टाइटलर और अभिषेक वर्मा को 2009 में कथित तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक जाली पत्र भेजने के मामले में दायर आरोप पत्र में नामजद किया है. विशेष सीबीआई न्यायाधीश अंजू बजाज चंदना को इस मामले में आज आदेश सुनाना था लेकिन उन्होंने अब इसे अगले महीने के लिये स्थगित कर दिया क्योंकि अदालत को वर्मा के वकील की ओर से कल दाखिल लिखित कथन पर विचार करना है.

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मामले पर आगे विचार करने और आरोप तय करने के मुद्दे पर आदेश के लिए 18 नवम्बर की तिथि निर्धारित की जाती है.” अदालत ने नौ सितम्बर को सीबीआई और आरोपियों के वकील की दलीलें सुनने के बाद मामले में आरोप तय करने पर आदेश सुरक्षित रख लिया था.
सीबीआई ने तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय माकन की उस शिकायत पर यह आरोप पत्र दाखिल किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके लेटरहेड पर 2009 में वर्मा की ओर से सिंह को फर्जी पत्र लिखा गया था जिसमें बिजनेस वीजा नियमों में ढील का अनुरोध किया गया था.
आरोपपत्र में वर्मा और टाइटलर को धोखाधडी करने के प्रयास के अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत नामजद किया गया था . टाइटलर को इससे पहले अदालत ने तब जमानत दे दी थी जब वह सम्मनों का पालन करते हुए उसके समक्ष पेश हुए थे.
वर्मा इस समय तिहाड जेल में न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किया था. आरोपपत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि टाइटलर ने चीन की एक दूरसंचार कंपी को धोखा देने के लिए वर्मा के साथ ‘‘सक्रिय रुप से सांठगांठ” की थी और टाइटलर ने पहले कंपनी के अधिकारियों को ‘‘जाली और नकली” पत्र दिखाया था और दावा किया था कि यह माकन द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री को लिखा गया था.

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