बांका : जिला परिषद बांका एवं बौंसी के दुकानों का किराया नहीं देने वाले 45 दुकानों का एकरारनामा रद्द करने का आदेश पारित हुआ है. जिसमें बांका के 19 एवं बौंसी के 26 दुकानें शामिल है. विभागीय जानकारी के अनुसार जिला परिषद निरीक्षण भवन बांका के समीप स्थित बने कुल दुकानों में से 19 वैसे दुकानों का एकरारनामा रद्द किया जायेगा.
जिन्होंने अपने दुकानों का किराया अब तक नहीं भुगतान किये है या जिनका एकरारनामा की अवधि 10 वर्ष पूरी हो चुकी है. वहीं बौंसी जिला परिषद निरीक्षण भवन अंतर्गत दुकानों में से 28 दुकानों का एकरारनामा रद्द किया जायेगा. इन दोनों प्रखंडों में से बांका के दुकानदारों के पास सबसे अधिक 97 माह एवं सबसे कम 16 माह का किराया बकाया है.
इन दुकानों के पास कुल मिलाकर 3 लाख 8 हजार 96 रुपये बकाये है जबकि बौंसी स्थित दुकानों के सबसे अधिक 140 माह एवं सबसे कम 13 माह का किराया बांकी है. बौंसी के दुकानदारों के पास कुल मिलाकर 7 लाख 44 हजार 600 रुपये बकाये है. इस प्रकार दोनों प्रखंडों में 10 लाख 52 हजार 696 रुपये बकाया है.
जिला परिषद की परिसंपत्ति में बनाये गये दुकानों का एकरारनामा 10 वर्षों का होता है जिसमें यह अंकित है कि जो भी व्यक्ति इन दुकानों को लेते है वो दुकानों के तय किराया को ससमय जिला परिषद कार्यालय बांका में किराया जमा करेंगे. साथ ही यह भी रहता है कि किराया यदि तीन माह तक जमा नहीं किया गया तो उनका एकरारनामा रद्द कर दिया जायेगा.
बांका एवं बौंसी में जिला परिषद के द्वारा आवंटित दुकानों को किराये पर लगाने वाले वैसे दुकानदारों को चिह्नित कर कार्रवाई एवं एकरारनामा रद्द किया जायेगा जिन्होंने अपनी दुकान को किसी दूसरे व्यक्ति को किराये पर दे रखे है यह एकरारनामा के विरुद्ध है. इसे चिह्नित करने के लिए जिला परिषद अध्यक्ष के द्वारा 6 सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच का कार्य सौंपा गया है. जांच रिपोर्ट आते ही इन दुकानदारों के उपर कार्रवाई की जायेगी.
संकट में जिला भाजपा
सक्रिय कार्यकर्ताओं की आपत्ति एवं प्रदेश नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद स्थानीय पदाधिकारी बैक फुट पर हैं.
जिले में भाजपा के चल रहे सांगठनिक चुनाव के परिणाम घोषित करने में कुछ नेताओं की शीघ्रता और अति उत्साह पार्टी के ही सक्रिय कार्यकर्ताओं के एक बड़े तबके को रास नहीं आ रही है. ऐसी कई घोषणाओं के बाद कार्यकर्ता आपत्ति भी दर्ज करा चुके है और जिसका नतीजा यह निकला कि चुनाव पदाधिकारियों को बैक फुट पर लौट जाना पड़ा.
ताजा मामला बांका मंडल अध्यक्ष के निर्वाचन की घोषणा को लेकर हैं. इस पद के लिए चुनाव प्रभारी ने मंगलवार को पंकज घोष के निर्वाचन की घोषणा कर दी. इससे पहले बांका नगर अध्यक्ष के लिए रंजन चौधरी और बाराहाट के लिए सुभाष साह के नामों की घोषणा कर दी गयी थी. बुधवार को बांका मंडल अध्यक्ष पद के लिए एक प्रत्याशी अमित कुमार सिंह ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए इस संबंध में एक पत्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडेय को भेजा.
पत्र में उन्होंने कहा कि वे बांका मंडल भाजपा इकाई के अध्यक्ष पद के लिए एक प्रत्याशी है. उन्होंने 19 फरवरी को इस पद के लिए चुनाव प्रभारी निरंजन कुमार चौधरी के समक्ष नामांकन किया था. लेकिन पार्टी यहां चुनाव की बजाय मनोनयन पद्धति से अध्यक्षों के नामों की घोषणा कर रही है. जबकि सामाजिक समीकरणों का ख्याल रखते हुए तीन नामांकन लिया जाना है. निर्वाचन की घोषणा जिला की कोर कमेटी और प्रदेश के नेता द्वारा सभी बातों को ध्यान में रखकर की जानी है.
जबकि बांका में प्रदेश के इस निर्णय और दिशा निर्देश की सरेआम अवहेलना की जा रही है. इसके बाद तो जैसे इस मुद्दे को लेकर यहां बहस छिड़ गयी. धड़ाधड़ निर्वाचित पदाधिकारियों की नामों की घोषणा करने वाले बैक फुट पर आ गये. बांका मंडल मामले में निर्वाची पदाधिकारी प्रमोद मंडल एवं निरंजन चौधरी ने तुरंत विज्ञप्ति जारी कर इस संबंध में की गयी अपनी भूल सुधार की उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा के निर्णय के अनुसार बांका जिले के सभी मंडलों के नवनिर्वाचित अध्यक्षों एवं मंडल से लेकर जिला प्रतिनिधि तक के नामों की घोषणा प्रदेश भाजपा के पदाधिकारी एवं जिला कोर ग्रुप के सदस्यों द्वारा एक साथ की जायेगी.
प्रदेश से इस संबंध में मिली हिदायत, कि मंडल निर्वाची पदाधिकारियों को सिर्फ नामांकन लेकर रख लेना है, की भी बात उन्होंने स्वीकार की. उन्होंने कहा कि भूलवश बांका, बौंसी सहित कुछ अन्य मंडलों द्वारा परिणाम घोषित कर दिया गया. इसके लिए उन्होंने खेद भी व्यक्त किया. इससे पहले बेलहर मंडल को लेकर भी इसी तरह का विवाद उट खड़ा हुआ था.