बदलते गांव. बरियौल पंचायत में बनी है पीसीसी सड़कें
अब कीचड़ में नहीं फंसती साइकिल, दौड़ती है बाइक पंचायतीराज व्यवस्था लागू होने के बाद ढेर सारे गांवों का भाग्य बदल गया है. जिन गांवों की सड़कें कच्ची थी वे अब पीसीसी में तब्दील हो गयी है. ढिबरी में बैठकर पढने वाले बच्चे बल्ब की रौशनी में पढ रहे हैं. ऐसा ही एक पंचायत है […]
अब कीचड़ में नहीं फंसती साइकिल, दौड़ती है बाइक
पंचायतीराज व्यवस्था लागू होने के बाद ढेर सारे गांवों का भाग्य बदल गया है. जिन गांवों की सड़कें कच्ची थी वे अब पीसीसी में तब्दील हो गयी है. ढिबरी में बैठकर पढने वाले बच्चे बल्ब की रौशनी में पढ रहे हैं. ऐसा ही एक पंचायत है केवटी प्रखंड का बरियौल. जहां कुछ बदलाव देखने को मिल रह रहे हैं.
कमतौल : बदल गया है गांव ये मेरा, बदल गयी है गलियां भी, अब तो सुखी-सुखी है, फूलों की ये कलियां भी. चौपालों में सूनापन है, चौराहे पर सन्नाटा है, हस्त शिल्प के पंखे गायब, मिलता अब तो फर्राटा है. इस कविता से पंचायतों में होने वाले विकास की कहानी समझी जा सकती है. गांव से लेकर गली-मोहल्ले तक बनने वाली पीसीसी सड़क से बुजुर्ग बेहद खुश है. अब उन्हें रात में भी आने-जाने के लिए लालटेन का सहारा नहीं लेना पडता है.
चिकनी सडकें और बिजली से रौशन हो रहा पंचायत का हर कोने में बिना ढिबरी के सफर पूरा कर रहे हैं. युवाओं की तो बात ही अलग है. सड़क और बिजली की सुविधा मिलने से उनका उत्साह चौगुना हो गया है. अब उनकी साइकिल या बाइक कीचड़ में नहीं फंसती, फर्राटे से सफर पूरा करते हैं.