सुबह 5:45 बजे वाहन चालकों को पकड़ा. ढाई घंटे बाद काटी जुर्माने की रसीद, बिफरे लोगों ने कहा अभियान के नाम पर टॉर्चर कर रहे एसडीओ
इन दिनों राजधानी में यातायात जांच अभियान चलाया जा रहा है. अभियान सुबह छह बजे से ही शुरू हो जा रहा है. पुलिस के जवान जगह-जगह लोगों के कागजात और लाइसेंस आदि की जांच कर रहे हैं. लेकिन, शहर के लोगों जांच अभियान के तरीके पर एतराज है. गुरुवार को राजभवन के समीप एसडीओ भाेर […]
इन दिनों राजधानी में यातायात जांच अभियान चलाया जा रहा है. अभियान सुबह छह बजे से ही शुरू हो जा रहा है. पुलिस के जवान जगह-जगह लोगों के कागजात और लाइसेंस आदि की जांच कर रहे हैं. लेकिन, शहर के लोगों जांच अभियान के तरीके पर एतराज है. गुरुवार को राजभवन के समीप एसडीओ भाेर सिंह के नेतृत्व में चल रहे जांच अभियान के दौरान कई लोगों ने हंगामा भी किया. उनका कहना था कि सुबह आठ बजे से पहले जांच अभियान चलाने का कोई मतलब नहीं है. जांच के नाम पर एसडीओ टॉर्चर कर रहे हैं.
रांची : राजभवन के समीप एसडीओ भोर सिंह यादव के नेतृत्व में गुरुवार सुबह 5:45 बजे से जांच अभियान शुरू हो गया था. ढाई घंटे तक चले इस अभियान के दौरान 150 से ज्यादा लोगों को यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ा गया. इस दौरान कई लोग एसडीओ से उलझ गये. इनमें कुछ महिलाएं भी थीं. इन लोगों ने एसडीओ से कहा कि सुबह 8:00 बजे से पहले जांच अभियान चलाना ही नहीं चाहिए.
जांच अभियान के दौरान पकड़े गये मॉर्निंग वाकर एसडीओ और पुलिसकर्मियों के व्यवहार से आहत थे. एक महिला ने ‘प्रभात खबर’ से कहा कि हमें अभियान से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इस दौरान अधिकारियों और पुलिसवालों व्यवहार काफी दुखी करनेवाला है. वे जांच में पकड़े गये लोगों को लाइन में खड़ा कर देते हैं और कहते हैं कि अापलोग राजभवन की दीवार देखिए. यह वाकई टार्चर करने जैसा है. लगभग ढाई घंटे तक लोग जुर्माना देने के लिए खड़े रहे. 8:30 बजे ट्रैफिक पुलिस आयी तब जुर्माना काटा गया. लोगों ने कहा पकड़े गये लोगों को (खास कर महिलाआें) ऑन स्पॉट जुर्मना लेकर छोड़ देना चाहिए. ढ़ाई घंटे धूप में खड़ा रहना काफी कष्टकारी है. इस प्रकार किसी की भी तबीयत खराब हो सकती है.
दुर्घटना समय देख कर नहीं होती : एसडीओ
अपने साथ उलझ रहे लोगों से एसडीओ ने कहा कि दुर्घटनाएं समय देख कर नहीं होती हैं. सुबह और रात में सड़कें खाली होती हैं. ऐसे में तेज रफ्तार बड़े वाहन किसी को धक्का मार कर आराम से निकल जाते हैं. इसलिए सुबह और रात में लोगों को ज्यादा सर्तक रहा चाहिए. दुर्घटना में जिसने अपने घर का चिराग खोया है, उनसे पूछिये. वे एक ही बात कहेंगे कि काश मेरे बेटे ने हेलमेट पहना होता. जिला प्रशासन या ट्रैफिक पुलिस आम लोगों की जान बचाने के लिए ही यह जांच अभियान चला रही है.
ट्रैफिक पुलिस ने भी चलाया अभियान
इधर, ट्रैफिक पुलिस ने भी नाबालिग छात्रों को पकड़ने के लिए पूरे शहर में अभियान चलाया. कई चौक-चौराहे पर नाबालिग छात्र-छात्राएं बाइक चलाते पकड़े गये. ट्रैफिक डीएसपी राधा प्रेम किशोर ने रातू रोड के किशोरी यादव चौक पर वाहनों की जांच की. इस दौरान बिना हेलमेट के वाहन चलाते कई लोगों को पकड़ और जुर्माना भी काटा.
कुछ लोग भीड़ को रोड जाम करने के लिए उकसा रहे थे. वे लोग बहस भी कर रहे थे. इसलिए हमने कहा था कि सरकारी काम कर रहे हैं. बार-बार परेशान करने के कारण हमने कुछ लोगों को राजभवन की दीवार की ओर चेहरा करके खड़ा रहने को कह दिया था. पूरे घटनाक्रम की रिकॉर्डिंग मीडिया के पास है.
भाेर सिंह यादव, एसडीओ
पीड़ा एक आम आदमी की
गुरुवार सुबह सवा छह बजे रोज की भांति मैं अपनी स्कूटी से मोरहाबादी मैदान से मॉर्निंग वॉक से वापस आ रहा था. कांके रोड स्थित जज कॉलोनी के पास रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव अपने कुछ अंगरक्षकों के साथ गाड़ियों की जांच कर रहे थे. इसी क्रम में मैं भी वहीं से गुजर रहा था. उन्होंने मेरी गाड़ी को रुकने का इशारा किया. मैंने उनके आदेशानुसार अपनी गाड़ी को गवर्नर हाउस के दीवार के सामने खड़ी कर दी. उसके बाद एसडीओ ने स्कूटी की चाभी छीनकर अपने पास रख ली, और कहा कि गवर्नर उस के दीवार की तरफ चेहरा करके खड़े रहें. सड़क नहीं देखने की हिदायत दी गयी. चेकिंग अभियान प्रात छह बजे से लेकर साढ़े आठ बजे तक चला. इस दौरान जिस व्यक्ति ने भी एसडीओ से बात करने की कोशिश की, उनकी तरफ से यह कहा गया कि चुपचाप गवर्नर हाउस के तरफ दीवार करके खड़े हो जाओ नहीं तो सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में जेल में बंद करवा देंगे. ढाई घंटे तक चले इस चेकिंग अभियान के दौरान इनके साथ कोई यातायात विभाग का कर्मचारी नहीं था. यातायात विभाग से कर्मचारी आने के बाद ही उनका चालान काटा गया. इस ढाई घंटे के दौरान उन्होंने कई बार लोगाें के साथ अभद्र व्यवहार किया. क्या राजधानी रांची के नागरिक एसडीओ साहब की मनमानी सहते रहेंगे. अगर इनके साथ यातायात विभाग का कर्मचारी रहता तो लोगों को ढाई घंटा तक इतना कष्ट सहना नहीं पड़ता. मॉर्निंग वॉक में बहुत से बुजुर्ग, डायबिटिक मरीज, हॉर्ट के बीमारी से ग्रसित लोग आते होंगे. जिन्हें समय पर घर पहुंच कर दवाई व अन्य पदार्थ लेनी पड़ती है. लोगों ने इनसे बहुत विनती की, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी. यदि इस दौरान किसी के साथ कुछ अनहोनी हो जाती तो वे क्या जवाब देते. मैं इस पत्र के माध्यम से झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं कि कोई भी प्रशासन के अधिकारी आम लोगों के सहूलियत के लिए होता है न की लोगों को परेशान करने के लिए. गुरुवार को एसडीओ साहब जिस प्रकार से लोगों से बात कर रहे थे कि लग रहा था कि वे किसी सभ्य आदमी से नहीं, बल्कि किसी क्रिमिनल से बात कर रहे हों.