Pryagraj News: इलाहाबाद हाइकोर्ट में उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने जाने के आदेश को लेकर राज्य सरकार द्वारा विशेष अपील पर मंगलवार को सुनवाई हुई. केंद्र सरकार की ओर से इलाहाबाद हाइकोर्ट के समक्ष पक्ष रखने पहुंचे अंडर सेक्रेट्री को कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई. अंडर सेक्रेट्री कोर्ट के समक्ष बगैर किसी कागजात पहुंचे थे. इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आप क्या संगम घूमने आए हैं? किसने टूर को परमिट किया?
इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि इन्हें आने-जाने का सरकार कोई भत्ता नहीं देगी. इसके साथ की अंडर सेक्रेटरी आज के दिन अवकाश पर रहेंगे. वहीं जानकारी के मुताबिक फ्लाइट लेट होने के चलते अंडर सेक्रेट्री कोर्ट देरी से पहुंचे थे. कोर्ट ने अंडर सेक्रेटरी के इंतजार के लिए 10 मिनट का समय दिया था. दरअसल, अनुदेशकों की ओर से अधिवक्ता दुर्गा तिवारी और अधिवक्ता एचएन सिंह ने अदालत में पक्ष रखा. अदालत में भी मामले में बहस पूरी नहीं हो सकी.
प्रदेश के लगभग 27 हजार अनुदेशकों का मानदेय 2017 में केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 17000 रुपये कर दिया था. इसे यूपी सरकार ने लागू नहीं किया है. मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर अनुदेशकों ने हाइकोर्ट में रिट दाखिल की थी. इस पर 3 जुलाई 2019 को जस्टिस राजेश चौहान की सिंगल बेंच ने अनुदेशकों को 2017 से 17000 मानदेय 9 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया था. इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल की है. इस पर चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की डिवीजन की बेंच सुनवाई कर रही है. अब मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को सुबह 11.30 बजे होगी.
रिपोर्ट : एसके इलाहाबादी