भागलपुर: सुलतानगंज-नाथनगर ग्रामीण जलापूर्ति योजना अधर में, एक दशक बाद भी नहीं बुझी प्यास
जून तक सुलतानगंज-नाथनगर ग्रामीण जलापूर्ति योजना पूरी हो जायेगी और जलापूर्ति होने लगेगी. दावे से इतर सच्चाई यह है कि सिर्फ पंपिंग स्टेशन का काम 70 फीसदी तक करने में एक दशक लग गये हैं. अभी तो जेटी तैयार भी नहीं हुआ है.
ब्रजेश, भागलपुर. गंगा के पानी को ट्रीटमेंट कर आर्सेनिक प्रभावित गांवों तक पहुंचाने की योजना पर सुलतानगंज से नाथनगर के लोग एक दशक से सिर्फ काम होते देख रहे हैं, लेकिन प्यास बुझाने लायक पानी अब तक उन्हें नहीं मिल सका है. इस गर्मी भी लोगों की प्यास बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के पानी से नहीं बुझ सकेगी. हालांकि, पीएचइडी पश्चिमी डिवीजन का दावा है कि जून तक योजना पूरी हो जायेगी और जलापूर्ति होने लगेगी. दावे से इतर सच्चाई यह है कि सिर्फ पंपिंग स्टेशन का काम 70 फीसदी तक करने में एक दशक लग गये हैं. अभी तो जेटी तैयार भी नहीं हुआ है. गंगा से पाइपलाइन पंपिंग स्टेशन तक बिछायी नहीं जा सकी है. वहीं, सुलतानगंज से नाथनगर तक पाइप लाइन शिफ्टिंग का काम भी अधूरा है. सुलतानगंज बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना साल 2012 में शुरू हुई थी, जिसको हर हाल में 2015 तक पूरा करना था. यह योजना पहले 80.60 करोड़ रुपये की थी और कई करोड़ का काम होने के बाद वर्क री-एसाइन हुआ. इसके बाद अभी करीब 59.92 करोड़ से काम पूरा करने की कोशिश हो रही है.
मुख्य बातें
- -लतानगंज-नाथनगर के 118 गांवों में होनी है जलापूर्ति
- बहानेबाजी के पेच में फंसी है योजना
- – पहली एजेंसी को हटाया, फिर एक के बदले तीन एजेंसियां बहाल, फिर भी कार्य की प्रगति है धीमी
- – पहले 80.60 करोड़ रुपये की थी योजना और अभी 59.92 करोड़ से हो रहा काम, प्रोजेक्ट रिवाइज में कई वर्क हुए ड्रॉप
बहानेबाजी की पेंच में फंसी है योजना
इस योजना को जल्द पूरा करने के लिए विभाग ने एक की जगह तीन कार्य एजेंसी रख ली. बावजूद इसके यह योजना पूरी होने के तय समय से नौ साल पीछे चल रही है. दरअसल, विभाग ने सबसे पहले हैदराबाद की आइवीआरसीएल को योजना पर काम करने के लिए बहाल किया. साढ़े 14 महीने तक काम चला, लेकिन विभागीय अधिकारियों को पता चला कि काम तो सिर्फ नौ फीसद हो पाया है. आश्चर्य यह कि विभाग को लेटलतीफी की जानकारी भी इतने दिन बाद ही हुई. विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस एजेंसी द्वारा निर्माण में सुस्ती बरती गयी. एग्रीमेंट के मुताबिक समय पर काम पूरा नहीं करने की स्थिति में एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए विभाग ने टेंडर रद्द कर नाम काली सूची में डाल दिया. इसके बाद काम ठप पड़ा रहा. री-टेंडर में 2018 में काम कोलकाता की मेसर्स रियान वाटरटेक प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया. वहीं, तेजी से काम कराने के लिए विभाग ने और दो एजेंसी हाजीपुर की मंगलम एग्रोकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं कटिहार के पवन चौबे को बहाल कर लिया. लेकिन, यह योजना अभी भी बहानेबाजी की पेंच में फंसी है.
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सबसे ज्यादा नाथनगर का गांव हो रहा प्रभावित
लेटलतीफी के कारण सबसे ज्यादा नाथनगर प्रखंड के आर्सेनिक प्रभावित इलाकों के लोगों को दिक्कत हो रही है. दरअसल, सुलतानगंज में गंगा किनारे कुछ गांव में जलापूर्ति होनी है. बाकी जलापूर्ति नाथनगर खंड की छह पंचायत के आर्सेनिक प्रभावित गांवों में होगी. पांच जलमीनार का निर्माण हुआ है. ये सभी जलमीनार नाथनगर प्रखंड के दोगच्छी, अजमेरीपुर, शाहपुर आदि गांवों में बने हैं. इसमें दोगच्छी का जलमीनार सिर्फ नाम के लिए बनकर तैयार है. सच्चाई यह है कि यह अभी भी अधूरा है और इस पर काम चल रहा है. पांचों जलमीनार की क्षमता लगभग आठ लाख गैलन की है, जिसमें तीन टाइम जलापूर्ति करने की प्लानिंग है.
जानें, योजना के बारे में
योजना : सुलतानगंज-नाथनगर बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना
लागत : 80.60 करोड़ रुपये
कार्य प्रारंभ : वर्ष 2012
कार्य पूर्ण होने की तिथि : वर्ष 2015
चयनित एजेंसी : आइवीआरसीएल, हैदराबाद
काम चला : 14 महीने तक
काम हुआ : 09 फीसदी
कार्रवाई : एजेंसी हुई ब्लैक लिस्टेड
री-टेंडर : वर्ष 2018
चयनित एजेंसी : मेसर्स रियान वाटर टेक प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता
काम में तेजी लाने के लिए और 02 एजेंसी की बहाली : पवन चौबे, कटिहार व मंगलम एग्रोकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
वर्तमान में काम कर रही एजेंसी और योजना पर खर्च हो रही राशि
1. मंगलम एग्रोकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड :11.94 करोड़ रुपये
2. मेसर्स रियान वाटरटेक प्राइवेट लिमिटेड : 39.95 करोड़ रुपये
3. पवन चौबे : 8.03 करोड़ रुपये
यह काम अधूरा है
1. गंगा से पानी लिफ्ट कर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम.
2. सुलतानगंज से नाथनगर तक पाइप लाइन को नहीं किया जा सका है सड़क किनारे शिफ्ट.
3. जेटी का निर्माण अब तक नहीं हो सका है पूरा
4. जागीरा में ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण भी है अधूरा
5. दोगच्छी में जलमीनार का निर्माण भी नहीं हो सका है पूरा.
जानें, गंगा से पानी कैसे होगा लिफ्ट
गंगा के पानी को लिफ्ट करने के लिए विभाग जेटी तैयार कर रहा है. यानी, एक जहाज कर रहा है, जो गंगा किनारे पानी में हमेशा तैरता रहेगा. लंगर और चैन से इसको फिक्स किया जायेगा. पानी घटेगा, तो वह नीचे अपने-आप होगा और पानी बढ़ेगा तो ऊपर होगा. छह मीटर चौड़े और 27.6 मीटर लंबे जेटी में तीन पंप लगे रहेंगे. इसका निर्माण कर रहे मारकर सुपरवाइजर राजू ने बताया कि यह हमेशा गंगा में ही पड़ा रहेगा और इसके पंप से पानी लिफ्ट तक पाइपलाइन में छोड़ा जायेगा. यह पानी सीधे ट्रीटमेंट प्लांट में जायेगा और वहां ट्रीटमेंट होने के बाद पाइपलाइन के जरिये आर्सेनिक प्रभावित इलाके में जलापूर्ति होगी.
ट्रीटमेंट प्लांट कैंपस की खासियत
1. कैमिकल हाउस
2. एडमिन बिल्डिंग
3. फिल्टर हाउस
4. पंप हाउस
5. फैमिली क्वार्टर
6. जलमीनार
आर्सेनिक युक्त पानी से कैंसर का खतरा
यहां बता दें कि आर्सेनिक युक्त पानी के कारण एक बड़ी आबादी पर कैंसर का खतरा बना हुआ है. मायागंज अस्पताल के कैंसर स्क्रीनिंग सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के बीच 29,900 लोगों की कैंसर स्क्रीनिंग की गयी. इनमें 46 लोग कैंसर से ग्रसित पाये गये. इनमें ओरल कैंसर के 26, स्तन कैंसर के 16, सर्वाइकल कैंसर के दो व अन्य तरह के कैंसर के दो मरीज मिले.
क्या कहते हैं अधिकारी
बहु ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना पर काम तेजी से हो रहा है. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट कैंपस का काम 70 फीसदी पूरा कर लिया गया है. गंगा का पानी लिफ्ट करने के लिए जेटी का निर्माण भी अगले 20-25 दिन में पूरा हो जायेगा. पाइपलाइन शिफ्टिंग का कार्य भी तेज है. यह काम जून 2024 तक पूरा हो जायेगा.
– नंदकिशोर प्रसाद
कार्यपालक अभियंता
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण कार्य प्रमंडल, भागलपुर (पश्चिमी)