Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 सीटों के हिसाब से जदयू (JDU) के लिए ठीक नहीं रहा. 2005 के मुकाबले 2020 के चुनाव में वो धार नहीं दिखी. अब पार्टी की कोशिश है कि जदयू बिहार में फिर से 15 साल पहले वाले अंदाज में लौटे. इसे लेकर विधानसभा चुनाव में हारे क्षेत्रों में फिर से संगठन मजबूती में जदयू जुट गया है. इसे लेकर नयी रणनीति के बूथ स्तर तक हर तबके के लोगों को पार्टी से जोड़ा जा रहा है. साथ ही आमलोगों तक सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाने की तैयारी की जा रही है.
इस अभियान में मूल रूप से युवाओं को चुन-चुनकर जिम्मेदारी दी जा रही है. संगठन को मजबूत बनाने और नेताओं को जमीनी स्तर से जोड़ने के लिए पार्टी अध्यक्ष के निर्देश पर सभी जिलाध्यक्षों को बदल दिया गया है. पार्टी अध्यक्ष ने अब अधिकतर जिलों की जिम्मेदारी चुनाव हारने वाले मंत्री और विधायकों को सौंप दी है. सूत्रों का कहना है कि मगध और शाहाबाद इलाके में एनडीए सहित जदयू को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है.
इस इलाके में कुल 37 सीटों पर जदयू का खाता भी नहीं खुल सका था. वहीं, एनडीए की बात करें, तो भाजपा की झोली में तीन और हम की झोली में तीन सीटें गयी थीं. मगध और शाहाबाद इलाके में 37 में से 30 सीटें महागठबंधन और एक सीट पर बसपा ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, अब बसपा के विधायक जदयू में शामिल हो चुके हैं.
सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बावजूद एनडीए सरकार ने मगध और शाहाबाद के लिए कई योजनाओं पर काम शुरू किया है. इसका मकसद आम लोगों में यह संदेश देना है कि सरकार उनके सराेकारों का ध्यान रख रही है.
इसके तहत केवल भोजपुर क्षेत्र में छह बाइपास बनाने और आरा में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना है. इसके साथ ही यातायात सुविधाएं बेहतर करने के लिए पहले से प्रस्तावित बक्सर-आरा फोरलेन सड़क पर काम तेजी से चल रहा है. बता दें की बीते छह और सात मार्च को जदयू के 243 विधानसभा प्रभारियों की दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है.
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Posted By: Utpal kant