केंद्र सरकार जल्द ही ‘ एक राष्ट्र – एक राशन कार्ड ‘ योजना को अमली जामा पहनाने की तैयारी में है. केंद्र सरकार के खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने इसकी जानकारी दी है.रामविलास पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार एक जून से 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में महत्वाकांक्षी राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी सेवा ‘एक राष्ट्र-एक राशनकार्ड’ को अमल में लाने की तैयारी है. इस पहल के तहत,राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के पात्र लाभार्थी एक ही राशन कार्ड का उपयोग करके देश में कहीं भी किसी भी उचित मूल्य की दुकान से अपने हिस्से का खाद्यान्न ले सकेंगे.
1 जून 2020 तक वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना के तहत 20 राज्यों को आपस में जोड़ने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। https://t.co/Run24F3Jm7
— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan) May 9, 2020
पासवान ने संवाददाताओं से कहा,‘‘ अब तक 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसके तहत जोड़ा जा चुका है और ओडिशा, मिजोरम एवं नागालैंड जैसे तीन और राज्य भी तैयार हो रहे हैं. कुल 20 राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश एक जून से राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी के शुभारंभ के लिए तैयार होंगे.” उन्होंने कहा कि राशन कार्ड के साथ आधार विवरण को सम्बद्ध करना और पीडीएस दुकानों पर पॉइंट ऑफ सेल मशीन स्थापित करना राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी को प्रभावी रूप से सक्षम बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं.
इन राज्यों में पूरी हो चुकी है यह प्रक्रिया :
यह प्रक्रिया पहले ही 17 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में पूरी हो चुकी है, जिसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड, त्रिपुरा, बिहार, यूपी, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दमन और दीव शामिल हैं.
देश में 81 करोड़ से अधिक लाभार्थी :
देश में एनएफएसए के तहत 81 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं, जिनके लिए प्रति व्यक्ति 5 किलो के सब्सिडी वाले खाद्यान्न 1-3 रुपये प्रति किलोग्राम है.
सुप्रीम कोर्ट ने भी किया था मामले में हस्तक्षेप :
बता दें कि अभी पूरा देश कोरोना संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन का पालन कर रहा है. वहीं गरीब व मजदूर वर्ग के लिए अभी के हालात सबसे गंभीर बने हुए हैं. दूसरे राज्यों में जाकर रोजी-रोटी जुटाने वाले श्रमिकों का पलायन लगातार जारी है. इसी को देखते हुए देश के सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हाल में कहा था कि वह ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना अपनाने की संभावना पर विचार करे ताकि कोरोना वायरस से फैली महामारी की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को कम दाम पर खाद्य सामग्री मिल सके.