दुमका : झारखंड की मयूराक्षी नदी को बांधकर दुमका जिले में बनाये गये मसानजोर डैम को अब पश्चिम बंगाल सरकार का सिंचाई विभाग ‘रिमोट सेंसर सिस्टम’ से कंट्रोल करेगा. इसके लिए डैम के स्विचिंग और ऑपरेटिंग सिस्टम को रिमोट मैकेनिज्म से जोड़ा जा रहा है. डैम के नीचे कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है.
यह काम बंगाल सरकार के सिंचाई विभाग की तकनीकी शाखा करा रही है. अत्याधुनिक मशीनें लगाने में 19 करोड़ खर्च होंगे. इस साल के अंत तक मशीनें लगाने का कार्य पूरा होने की उम्मीद है. यानी अगले साल से डैम में रिमोट कंट्रोल द्वारा बाढ़ नियंत्रण किया जा सकेगा.
अब तक डैम का सारा काम मैन्युअल तरीके से ही होता आ रहा था. मसानजोर डैम की जलधारण क्षमता 1869 वर्ग किमी है. वर्ष 1955 में इस डैम को बनाने में 16.10 करोड़ रुपये का खर्च आया था. इसक निर्माण आजाद भारत में प्रथम पंचवर्षीय योजना के तहत कनाडा सरकार के सहयोग से किया गया था.
इसलिए इस डैम को ‘कनाडा डैम’ के नाम से भी जाना जाता है. इस डैम के बनने से दुमका जिले के मसलिया, दुमका, जामा और शिकारीपाड़ा प्रखंड के 144 मौजा के लोग विस्थापित हुए थे. भारी बारिश होने से डैम के एक से अधिक फाटक खोलने से पश्चिम बंगाल के वीरभूम और मुर्शिदाबाद जिले के कई गांव जलमग्न हो जाते हैं.
इसलिए बाढ़ नियंत्रण करने के लिए यहां नयी तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. अत्याधुनिक मशीन लगायी जा रही है. जानकारी के अनुसार, मसानजोर के अलावा पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के सिउड़ी शहर के नजदीक तिलपाड़ा बराज में भी रिमोट कंट्रोल से पानी छोड़ा जायेगा. मसानजोर में काम पूरा होने के बाद तिलपाड़ा बराज में काम शुरू होगा.
सिंचाई और पनबिजली के लिए बना था डैम : मसानजोर डैम में कुल 30 गेट (21 फ्लड गेट और नीचे के नौ गेट) हैं. अब ये सभी गेट नयी तकनीक से ऑपरेट होंगे. इस डैम से झारखंड के क्षेत्र के लिए 260 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के लिए महज एक गेट है, जो नहर का है. मसानजोर डैम बनाने का मुख्यतः दो ही उद्देश्य थे.
पहला डैम से सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था करना और दूसरा डैम के पानी से बिजली उत्पादन करना. यहां दो टरबाइन से कुल चार मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है. साल 2000 में बाढ़ का पानी पावरहाउस में घुस गया था, जिसकी वजह से कई वर्षों तक बिजली उत्पादन बंद हो गया था. मरम्मत के बाद पुनः पनबिजली उत्पादन हो रहा है.
posted by : sameer oraon