हेमंत सोरेन माइनिंग लीज केस: सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट को याचिकाओं की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई का निर्देश
Jharkhand News: हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में सीएम हेमंत सोरेन माइनिंग लीज आवंटन एवं सीएम के करीबियों के शेल कंपनियों से जुड़े मामले में भी सुनवाई हुई. दलील सुनने के बाद पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए 1 जून की तारीख तय की गयी.
Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों की शेल कंपनियों में निवेश व माइनिंग लीज आवंटन मामले में झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर राज्य सरकार की एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी पर सुनवाई के बाद झारखंड हाईकोर्ट को लंबित जनहित याचिकाओं की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में करीब 1 घंटा सुनवाई हुई.
झारखंड हाईकोर्ट में माइनिंग लीज आवंटन मामले में सुनवाई
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश व माइनिंग लीज आवंटन मामले में झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर राज्य सरकार की एसएलपी पर आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई. करीब 1 घंटा सुनवाई चली. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी पर सुनवाई के बाद झारखंड हाईकोर्ट को लंबित जनहित याचिकाओं की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करने का निर्देश दिया. इधर, झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में आज सीएम हेमंत सोरेन माइनिंग लीज आवंटन मामले में सुनवाई हुई. अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए 1 जून की तारीख तय की गयी.
झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
आपको बता दें कि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर कर झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है. इसमें कहा गया है कि प्रतिवादी शिवशंकर शर्मा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों की शेल कंपनियों में निवेश व अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर आवंटित माइनिंग लीज की जांच सीबीआई व ईडी से कराने की मांग को लेकर झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसे अदालत ने अभी इसे स्वीकार नहीं किया है. इसके बावजूद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल कर रही है. उसकी प्रति पीड़ित पक्ष को भी नहीं दी जा रही है. सरकार ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को निरस्त करने की मांग की है.
रिपोर्ट : राणा प्रताप