Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिबल, हेमंत सोरेन की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी व अधिवक्ता अमृतांश वत्स तथा ईडी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता की दलील सुनने के बाद पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए 1 जून की तारीख तय की. खंडपीठ ने कहा कि 31 मई तक जिस किसी पार्टी को जवाब दायर करना हो या जवाब पर प्रतिउत्तर दायर करना हो, वह दायर कर दें. इसके बाद कोर्ट समय नहीं देगा. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन माइनिंग लीज आवंटन एवं सीएम के करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश मामले में आज सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ये निर्देश दिया है.
झारखंड हाईकोर्ट में माइनिंग लीज आवंटन मामले में सुनवाई
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में आज सीएम हेमंत सोरेन माइनिंग लीज आवंटन मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश मामले में भी खंडपीठ ने सुनवाई की. इस दौरान दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए 1 जून की तारीख तय की. खंडपीठ ने 31 मई तक जवाब या जवाब पर प्रतिउत्तर दायर करने का वक्त दिया है.
राज्य सरकार की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश व माइनिंग लीज आवंटन मामले में झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर राज्य सरकार की एसएलपी पर आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई. करीब 1 घंटा सुनवाई चली. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी पर सुनवाई के बाद झारखंड हाईकोर्ट को लंबित जनहित याचिकाओं की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करने का निर्देश दिया है.
झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
आपको बता दें कि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर कर झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है. इसमें कहा गया है कि प्रतिवादी शिवशंकर शर्मा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों की शेल कंपनियों में निवेश व अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर आवंटित माइनिंग लीज की जांच सीबीआई व ईडी से कराने की मांग को लेकर झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसे अदालत ने अभी इसे स्वीकार नहीं किया है. इसके बावजूद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल कर रही है. उसकी प्रति पीड़ित पक्ष को भी नहीं दी जा रही है. सरकार ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को निरस्त करने की मांग की है.
रिपोर्ट : राणा प्रताप