पणजी : गोवा में विधानसभा की 40 सीटों के लिए चुनाव का मतदान सोमवार को हो गया है. यहां से विभिन्न दलों के करीब 301 प्रत्याशी अपने-अपने भाग्य आजमाने के लिए मैदान में ताल ठोक रहे हैं. हालांकि, फैसला मतदाताओं को करना है, लेकिन सियासी दलों के अपने-अपने दावे और समीकरण हैं. इस बार के चुनाव में सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अलावा, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना-राकांपा गठबंधन और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के प्रत्याशी भी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो परंपरागत तौर पर द्विध्रुवीय राजनीति वाले राज्य गोवा में इस बार बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां आम आदमी पार्टी (आप), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और अन्य छोटे दल राज्य के चुनावी परिदृश्य पर अपनी छाप छोड़ने की होड़ में जुटे हुए हैं. इस बार के चुनाव में प्रमुख उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (भाजपा), विपक्ष के नेता दिगंबर कामत (कांग्रेस), पूर्व मुख्यमंत्री चर्चिल अलेमाओ (टीएमसी), रवि नाइक (भाजपा), लक्ष्मीकांत पारसेकर (निर्दलीय), पूर्व उप मुख्यमंत्री विजय सरदेसाई (जीएफपी) सुदीन धवलीकर (एमजीपी), पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर और आप के मुख्यमंत्री चेहरा अमित पालेकर शामिल हैं.
निवार्चन आयोग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, सोमवार को गोवा विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान में राज्य के करीब 11 लाख मतदाता 301 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. आज के मतदान के बाद मतगणना 10 मार्च को होगी. राज्य में एक बूथ पर मतदाताओं की औसत संख्या 672 है, जो देश में सबसे कम है. गोवा के वास्को विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 35,139 योग्य मतदाता हैं, जबकि मोरमुगांव सीट पर सबसे कम 19,958 मतदाता हैं.
बताते चलें कि इस बार के गोवा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने चुनाव लड़ने के लिए महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के साथ गठजोड़ किया है. शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी चुनाव पूर्व गठबंधन की घोषणा की थी, जबकि अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आप बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ रही है. रिवॉल्यूशनरी गोअंस, गोएंचो स्वाभिमान पार्टी, जय महाभारत पार्टी और संभाजी ब्रिगेड के प्रत्याशियों के अलावा 68 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं.
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राजनीतिक पंडितों की मानें तो कई दलों के मुकाबले में होने से राज्य में वोटों के बिखराव की संभावना अधिक है. इसका कारण यह है कि गोवा में विधानसभा सीटों का आकार छोटा है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी, किस सीट पर, कौन सी पार्टी के वोट बैंक में सेध लगाती है. वहीं, ऐसा पहली बार नहीं है, जब गोवा में चौतरफा मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस बार दोनों प्रमुख दलों (कांग्रेस और भाजपा) के प्रति लोगों में भारी रोष है. दलबदल के कारण लोगों में नाराजगी है. ऐसे में खंडित जनादेश सामने आने की संभावना है.