Bihar: भागलपुर के ब्लड बैंक में खून के सौदागरों की सेंधमारी, अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से खून उठाते दलाल
JLNMCH भागलपुर के ब्लड बैंक में खून के सौदागरों ने फर्जी तरीके से खून उठाने का नया तरीका निकाला था. हालाकि दलालों की ये चोरी पकड़ी गयी जब अधीक्षक खुद अपना फर्जी हस्ताक्षर देखकर चौंक गये.
Bihar News: भागलपुर के मायागंज क्षेत्र स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आसपास खून के सौदागरों की खबर अक्सर सामने आती रही है लेकिन अब बल्ड बैंक में भी इन धंधेबाजों ने सेंधमारी शुरू कर दी थी. मायागंज अस्पताल के अधीक्षक का फर्जी हस्ताक्षर कर खून के दलालों ने ब्लड बैंक से खून ले लिया लेकिन ये चालाकी पकड़ में आ गयी. ब्लड बैंक के कर्मी भी इस खेल में शामिल हैं.
अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से खून लिया
मायागंज अस्पताल के ब्लड बैंक में खून के दलालों का प्रवेश बंद और अनावश्यक मरीजों को बिना रिप्लेसमेंट खून देने की प्रवृत्ति पर अधीक्षक ने लगाम लगा दी तो खून के सौदागरों ने नया तरीका निकाला. इसी तरीके के तहत डॉक्टर द्वारा बनाये गये रिक्विजिशन लेटर पर मायागंज अस्पताल के अधीक्षक का फर्जी हस्ताक्षर कर खून के दलालों ने ब्लड बैंक से खून ले लिया. सोमवार को जब इस दलालों के खेल का नजारा अधीक्षक ने स्वयं देखा तो हैरत में पड़ गये. अधीक्षक ने संदेह जताया है कि उनके फर्जी हस्ताक्षर के जरिये ब्लड बैंक से बिना खून दान किये ही खून लेने का खेल में ब्लड बैंक के कुछ कर्मचारी शामिल हैं.
ब्लड बैंक के कुछ कर्मचारी शामिल
सोमवार को जब इस दलालों के खेल का नजारा अधीक्षक ने स्वयं देखा तो हैरत में पड़ गये. अधीक्षक ने संदेह जताया है कि उनके फर्जी हस्ताक्षर के जरिये ब्लड बैंक से बिना खून दान किये ही खून लेने का खेल में ब्लड बैंक के कुछ कर्मचारी शामिल हैं.
Also Read: Bihar: भागलपुर नगर निगम के शाखा प्रभारी की गला दबाकर हुई थी हत्या, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
जब पकड़ी गयी चोरी…
बीते चार दिन (31 अगस्त से तीन सितंबर के बीच) खून के दलालों ने अस्पताल अधीक्षक का फर्जी सिग्नेचर कर दो मरीजों के लिए तीन यूनिट खून ब्लड बैंक से लिया है. मायागंज अस्पताल के हड्डी रोग विभाग के डॉ गोविंद मोहन की यूनिट में भर्ती 16 वर्षीय रेशम कुमारी के लिए दलालों ने 31 अगस्त एवं तीन सितंबर को एक-एक यूनिट खून ब्लड बैंक से ले लिया. डॉ गोविंद मोहन के यूनिट में ही भर्ती दूसरे मरीज 55 वर्षीय परशुराम के लिए बीते 31 अगस्त को एक यूनिट खून ब्लड बैंक से विदाउट रिप्लेसमेंट ही ले लिया. तीनों यूनिट खून ब्लड बैंक के मार्निंग शिफ्ट में ही दलालों द्वारा लिया गया.
क्या है खून लेने का नियम?
बता दें कि बिदाउट रिप्लेसमेंट खून देने से पहले ब्लड बैंक में तैनात लैब टेक्नीशियनों को रिक़्विजिशन लेटर को ब्लड बैंक के व्हाट्सअप ग्रुप में डालना होता है. ब्लड बैंक प्रभारी डॉ रेखा झा व चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दिव्या सिंह की अनुमति के बाद ही कर्मचारी खून दे सकते है. लेकिन ये तीनों रिक्विजिशन लेटर ब्लड बैंक के व्हाट्सअप ग्रुप में नहीं डाले गये.
पांच हजार रुपये में दलाल कर रहे खून का सौदा
मायागंज अस्पताल अधीक्षक डॉ असीम कुमार दास को शक है कि खून के दलाल ब्लड बैंक के कुछ कर्मियों को मिलाकर उनके फर्जी हस्ताक्षर से खून निकाल लिया है. अब तक जो पड़ताल में बात निकलकर आयी है, उसमें खून के हरेक यूनिट खून का सौदा पांच-पांच हजार रुपये में हो रहा है.
टेक्नीशियन को शोकॉज
इस मामले की जांच की जिम्मेदारी हॉस्पिटल मैनेजर सुनील कुमार गुप्ता को दी गयी. ब्लड बैंक के मार्निंग शिफ्ट में तैनात रहे टेक्नीशियन राजेश कुमार शर्मा व केशव कुमार के खिलाफ शोकॉज जारी किया गया है. जांच में दोनों का शामिल होना पाया गया तो दोनों पर सख्त कार्रवाई होगी. हालाकि उधर मरीज के परिजन कुछ बताने से मुकर रहे हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan