पटना. पंचायत कानून में किये गये संशोधन तथा पंचायत चुनाव समय पर नहीं कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने सभी विपक्षी पक्षकारों को 14 जुलाई तक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने प्रियंका सिंह अधिवक्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
कोर्ट को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि किसी को भी संविधान से हट कर काम करने की अनुमति नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 243 (इ) के तहत पंचायत का चुनाव मौजूदा पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व करा लेना है नहीं तो पंचायत का कार्यकाल समाप्त होते ही पंचायत के सदस्यों का पद स्वतः समाप्त हो जायेगा.
किसी भी हाल में पंचायत का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया सकता है. जब तक कि संविधान में संशोधन नहीं कर दिया जाये, लेकिन सरकार पंचायती कानून में संशोधन कर जो प्रावधान लायी है वह संविधान के खिलाफ है . सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है . इसके बावजूद राज्य सरकार ने ऑर्डिनेंस लाकर पंचायत का कार्यकाल आगे बढ़ा परामर्शी समिति बनाने का आदेश जारी कर दिया. यह अध्यादेश समय पर पंचायत का चुनाव नहीं कराये जाने पर लाया गया है.
वहीं, राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व ही राज्य सरकार पंचायत का चुनाव करना चाहती थी , लेकिन चुनाव इवीएम से हो कि बैलेट पेपर से हो , इसे लेकर एक रिट याचिका हाइकोर्ट में दाखिल की गयी . यह मामला अब तक सुनवाई के लिए कोर्ट में लंबित है.
वहीं , राज्य चुनाव आयोग की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आयोग को जो आदेश मिलेगा उसका पालन किया जायेगा. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में काफी महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है .कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मामले में केंद्र सरकार और केंद्रीय निर्वाचन आयोग को भी पक्षकार बनाये, ताकि उनका भी पक्ष जान कर ही कोई आदेश पारित किया जाये.
कोर्ट ने इन दोनों को पक्षकार बनाने का आदेश देते हुए इन दोनों पक्षकारों समेत राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से 14 जुलाई तक जवाब तलब किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 15 जुलाई को की जायेगी.
Posted by Ashish Jha