बिहार में 23 ठिकानों पर छापेमारी, जेल में बंद नक्सलियों के नाम वसूली, जब्त मोबाइल से कई अहम सुराग बरामद
एनआइए जल्द ही पूछताछ कर सकती है या इनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है. इस मोबाइल से कुछ ऐसे लोगों के भी नाम सामने आये हैं, जिनसे जेल में भी बात होती थी. जेल में बंद जिन कुछ लोगों के नाम सामने आये हैं, उनसे अलग से भी पूछताछ हो सकती है.
पटना. एनआइए ने नक्सलियों को फंडिंग करने वाले बिहार समेत अन्य राज्यों में फैले पूरे टेरर नेटवर्क पर एक साथ सघन छापेमारी शनिवार को की थी. इसमें जहानाबाद, गया समेत सात जिलों के 23 ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की गयी. इस दौरान जब्त कई संवेदनशील दस्तावेज में एक अहम बात यह सामने आयी कि जेल में सालों से बंद प्रदूमण शर्मा, कविजी समेत अन्य कई बड़े नक्सली नेताओं के नाम पर माओवादी संगठन पैसे की उगाही कर रही है. इस काम में पूरा सिंडिकेट लगा हुआ है. कई माफिया जानबूझ कर इन्हें फंडिंग करते हैं.
एनआइए की टीम ने जहानाबाद में सुखदेव नाम के एक व्यक्ति से कई घंटे तक पूछताछ की थी और उसका मोबाइल भी जब्त कर लिया. कुछ अन्य लोगों के मोबाइल भी जब्त किये गये हैं. परंतु सुखदेव के मोबाइल से कई अहम सुराग मिले हैं. इसमें टेरर फंडिंग के लेनदेन से जुड़े कई लोगों के नाम और नंबर भी सामने आये हैं. इसके आधार पर इस सिंडिकेट में शामिल बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओड़िसा, आंध्रप्रदेश के कई नये लोगों के नाम भी सामने आये हैं. इस मामले में इन सभी संदिग्धों से एनआइए जल्द ही पूछताछ कर सकती है या इनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है. इस मोबाइल से कुछ ऐसे लोगों के भी नाम सामने आये हैं, जिनसे जेल में भी बात होती थी. जेल में बंद जिन कुछ लोगों के नाम सामने आये हैं, उनसे अलग से भी पूछताछ हो सकती है.
जांच में यह बात पता चला है कि बिहार के अलावा झारखंड के भी कई कोयला माफिया नक्सलियों को लगातार फंडिंग करते हैं. इसकी छत्रछाया में वे कोयला की अवैध खनन का पूरा सिंडिकेट आसानी से चला सकते हैं. इसके अलावा बिहार में मादक पदार्थों खासकर गांजा की तस्करी का भी बड़ा नेटवर्क जुड़ा हुआ है और इससे होने वाली अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा नक्सलियों को जाता है. गांजा को तस्करी करके लाने का मुख्य केंद्र ओड़िसा है. यहां से यह बिहार के विभिन्न जिलों में इसे पहुंचाया जाता है और पैसे की उगाही का बड़ा हिस्सा नक्सलियों के पास जाता है. इसके अलावा बिहार के कई जिलों से नक्सलियों को कई लोग खासकर कुछ ठेकेदार भी इन्हें मदद करते हैं. इसके ऐवज में इन्हें ठेकेदारी का भी फायदा मिलता है. ऐसे कई लोग नक्सलियों को नियमित रूप से फंडिंग करते रहते हैं. इन लोगों के बारे में कई अहम जानकारी प्राप्त हुई है.
एनआइए की जांच में यह भी पता चला है कि कुछ बड़े नक्सली लीडर के परिजन अभी भी फंड जुटाने और इसे नक्सलियों को देने में लगे हुए हैं. इस मामले में भी कुछ लोगों से पूछताछ की जा सकती है. एनआइए ने शनिवार को सात जिलों पटना, गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, अरवल, नालंदा और नवादा के 23 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इसमें सबसे ज्यादा जहानाबाद और गया में आठ-आठ ठिकानों पर रेड हुई थी. वर्तमान में नक्सली आंदोलन बिहार में काफी सिमट गया है, लेकिन इन पुराने दौर में बेहद संवेदनशील रहे इन जिलों से इसके टेरर फंडिंग के तार आज भी गहराई से जुड़े हुए हैं.