सदियों से उपयोग में लाए जा रहे शहद, घी, हल्दी आदि को गलत बताने वाले विदेशी शोधकर्ता अब इसी पर कर रहे रिसर्च

Health News, treatments for cough and cold, what does honey do for cough, latest study : भारत में सदियों से उपयोग में लाए जाने वाले शहद, घी, नारियल तेल जैसे कई प्राचीन तत्वों को गलत बताने वाले विदेशी शोधकर्ता अब इसी पर रिसर्च कर रहे है. ऐसा ही एक मामला ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल और प्राथमिक देखभाल स्वास्थ्य विज्ञान के नफ़िल्ड विभाग से सामने आया है. दरअसल, वहां के विशेषज्ञों ने हाल ही में एक रिसर्च किया है. जिसके अनुसार दवा दुकानों में बिकने वाले खांसी और जुकाम के दवाओं की तुलना में शहद को बेहतर बताया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 24, 2020 11:42 AM

Health News, treatments for cough and cold, what does honey do for cough : भारत में सदियों से उपयोग में लाए जाने वाले शहद, घी, नारियल तेल जैसे कई प्राचीन तत्वों को गलत बताने वाले विदेशी शोधकर्ता अब इसी पर रिसर्च कर रहे है. ऐसा ही एक मामला ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल और प्राथमिक देखभाल स्वास्थ्य विज्ञान के नफ़िल्ड विभाग से सामने आया है. दरअसल, वहां के विशेषज्ञों ने हाल ही में एक रिसर्च किया है. जिसके अनुसार दवा दुकानों में बिकने वाले खांसी और जुकाम के दवाओं की तुलना में शहद को बेहतर बताया है.

आपको बता दें कि आपने पहले से ही अपने माता-पिता और पूर्वजों से शहद, घी, नारियल तेल आदि के बारे में कहते सूना होगा कि यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है. कई तरह की छोटी-बड़ी बीमारियों का उपचार इससे संभव है.

लेकिन, दुखद यह है कि जब इस पर विदेश में शोध होते है तब ही हम भारतीय इसके महत्व को समझ पाते है. इससे पहले यही विदेशी इन आयुर्वेद सामग्रियों और हमारी सभ्यताओं का मजाक उड़ाते आए हैं.

आपको बता दें कि हाल ही में वर्ष 2018 तक, हार्वर्ड के प्रोफेसर करिन मिशेल्स ने नारियल तेल को “शुद्ध जहर” बताया था. लगभग उसी समय, हैचेट इंडिया ने द कैंसर रिवोल्यूशन जारी किया, जिसमें लेखक, डॉ. लेह एरिन कोनाली, नारियल तेल को ‘किसी भी एंटीकैंसर भोजन का एक महत्वपूर्ण घटक’ माना. कैलिफ़ोर्निया के सेंटर फ़ॉर न्यू मेडिसिन एंड कैंसर सेंटर फ़ॉर हीलिंग के संस्थापक और चिकित्सा निदेशक ने भी नारियल तेल के त्वचा में लगाने पर होने वाले लाभों की सिफारिश की.

यह चिंताजनक है कि पश्चिमी देश हमारे प्राचीन ज्ञान पर भ्रम उत्पन्न करते आए हैं और बाद में वे ही इस पर शोध कर इसे सही बताते हैं. जिसके बाद देशवासी इसे अपनाते हैं.

अंग्रेजी वेबसाइट फर्स्ट पोस्ट के अनुसार अंग्रेजों ने बंगाल के बुनकरों के साथ जानबूझकर क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया था, जिसके वजह से हम अनजाने में अपनी संस्कृति से बाहर हो गए हैं.

कोरोना काल में हल्दी, योग समेत अन्य प्राचीन औषधियों को आज दुनिया भर में अपनाया जा रहा है. इसके गुणों पर चर्चा की जा रही है. लेकिन, पहले इसका भी मजाक बनाया जा चुका है.

आपको बता दें कि भारतीय शिक्षा प्रणाली ने चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त, चाणक्य, चक्रपाणि दत्त, माधव, पाणिनि, पतंजलि, नागार्जुन, गौतम, पिंगला, शंकरदेव, मैत्रेयी, गार्गी, जिन्होंने गणित, खगोल विज्ञान, धातु विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान और शल्य चिकित्सा, सिविल इंजीनियरिंग, वास्तुकला, जहाज निर्माण और नेविगेशन, योग, ललित कला, शतरंज समेत विविध क्षेत्रों में विश्व को ज्ञान देने का काम किया है. ऐसे में जरूरी है कि हमारे प्राचीन ज्ञान को बदनाम करने वाले शोध और देशों पर लगाम लगाने की जरूरत है.

Posted By : Sumit Kumar Verma

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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