क्या आप जानते है आकाश गंगा में रहने के लिए कौन है ‘सबसे सुरक्षित स्थान’? वैज्ञानिकों ने खोज निकाली एक और दुनिया
अगर आप भी पृथ्वी पर रहते-रहते बोर हो चुके हैं और किसी दूसरे ग्रह में रहना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए जरूरी हो सकती है. अंतरिक्ष विज्ञानियों ने काफी रिसर्च के बाद आकाशगंगा में रहने के लिए सबसे सुरक्षित स्थान खोज लिया है. आकाश गंगा के एक विश्लेषण से पता चला है कि छह अरब साल पहले आकाश गंगा के बाहरी इलाके जीवन के शुरुआत के लिए सबसे सुरक्षित स्थान थे, पर हाल ही के एक रिसर्च में पता चला है कि अंतरिक्ष में रहने के लिए आकाशगंगा का केंद्र सबसे ज्यादा सुरक्षित स्थान माना गया है.
अगर आप भी पृथ्वी पर रहते-रहते बोर हो चुके हैं और किसी दूसरे ग्रह में रहना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए जरूरी हो सकती है. अंतरिक्ष विज्ञानियों ने काफी रिसर्च के बाद आकाशगंगा में रहने के लिए सबसे सुरक्षित स्थान खोज लिया है. आकाश गंगा के एक विश्लेषण से पता चला है कि छह अरब साल पहले आकाश गंगा के बाहरी इलाके जीवन के शुरुआत के लिए सबसे सुरक्षित स्थान थे, पर हाल ही के एक रिसर्च में पता चला है कि अंतरिक्ष में रहने के लिए आकाशगंगा का केंद्र सबसे ज्यादा सुरक्षित स्थान माना गया है.
शोधकर्ताओं के अनुसार, अंतरिक्ष के ये स्थान गामा-रे फटने और सुपरनोवा के घातक विकिरण से बचने के लिए सबसे सुरक्षित जगह प्रदान करता है. नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिज़िक्स और इटली में इंसुब्रिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि ब्रह्मांड में शक्तिशाली कॉस्मिक विस्फोट बड़ी मात्रा में ऊर्जा को अपने वातावरण में छोड़ते हैं. ये गामा-किरणों का फटना और सुपरनोवा का परिणाम इतना तीव्र होता है कि यह जानलेवा हो सकता है. इतना ही नहीं, ये सुपरनोवा और गामा-रे इतने घातक होते है कि ये डीएनए को भी हिला सकते हैं और जीवन को मार सकते हैं.
उन्होंने कहा कि 6 बिलियन साल पहले तक आकाश गंगा के आसपास के इलाके जिनमें अपेक्षाकृत कुछ ग्रह थे, उनको छोड़कर अधिक संख्या में तारों के बनने और कम धातु होने के कारण कई विस्फोटक घटनाएं हुईं. करीब 4 अरब साल पहले जीआरबी की आवृत्ति कम हो गई, जिससे आकाशगंगा के 6500 और 26,000 प्रकाश वर्ष के बीच आकाशगंगा के केंद्र को सबसे सुरक्षित वातावरण माना गया. शोधकर्ताओं ने कहा कि जीवन के लिए केंद्र से सूर्य की यह दूरी सबसे सही है.
लेखकों ने अध्ययन में लिखा है कि लगभग 450 मिलियन वर्ष पहले ऑर्डोवियन ग्रह के ख़त्म होने का कारण भी गामा-रे का फटना हो सकता है. हालांकि इसके गायब होने की घटना के लिए गामा-किरण को जोड़ने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है.
कई अध्ययनों से पता चलता है कि पृथ्वी से 3300 प्रकाश वर्ष के भीतर जीआरबी द्वारा जारी गामा विकिरण पृथ्वी से ओजोन परत को नष्ट कर देगा, जिससे सतह पर लगभग सभी जीवन खतम हो जाएगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के इतिहास में बड़े पैमाने पर विलुप्त होने को सुपरनोवा से जोड़ा जा सकता है, जिसमें 2.6 मिलियन साल पहले एंड-प्लियोसीन विलुप्त होने और 359 मिलियन साल पहले लेट डेवोनियन विलुप्त होने शामिल हैं.
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Posted by : Vishwat Sen