‘बेहतर कनेक्टिविटी के लिए रिहायशी इमारतों में बेसिक टेलीकॉम सर्विसेज स्ट्रक्चर तैयार करने की जरूरत’
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के प्रमुख आरएस शर्मा का कहना है कि बहुमंजिला इमारतों में कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है. उनका सुझाव है कि बहुमंजिली रिहायशी इमारतों में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन्स (आरडब्ल्यूए) को दूरसंचार क्षेत्र के सभी परिचालकों को साझा बुनियादी ढांचा खड़ा करने की अनुमति देनी चाहिए. शर्मा ने कहा कि लोगों की आम धारणा यह है कि एक बार मोबाइल टावर लग जाने पर कनेक्टिविटी संबंधी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है. बहुमंजिला भवनों में दूरसंचार संपर्क की गुणवत्ता अभी भी एक बड़ा मुद्दा है.
नयी दिल्ली : भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के प्रमुख आरएस शर्मा का कहना है कि बहुमंजिला इमारतों में कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है. उनका सुझाव है कि बहुमंजिली रिहायशी इमारतों में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन्स (आरडब्ल्यूए) को दूरसंचार क्षेत्र के सभी परिचालकों को साझा बुनियादी ढांचा खड़ा करने की अनुमति देनी चाहिए. शर्मा ने कहा कि लोगों की आम धारणा यह है कि एक बार मोबाइल टावर लग जाने पर कनेक्टिविटी संबंधी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है. बहुमंजिला भवनों में दूरसंचार संपर्क की गुणवत्ता अभी भी एक बड़ा मुद्दा है.
उन्होंने कहा कि इसलिए आरडब्ल्यूए को चाहिए कि वह इमारतों के निर्माण की योजना के दौरान ही बिजली, पानी और अन्य सेवाओं की तरह ही कनेक्टिविटी के बुनियादी ढांचे को भी शामिल करें. यह ढांचा साझा करने लायक हो, ताकि सभी दूरसंचार सेवाप्रदाताओं की पहुंच सुनिश्चित हो सके. शर्मा ट्राई के दो परिचर्चा पत्रों के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे. इसमें एक परिचर्चा पत्र बहुमंजिला आवासीय इमारतों में कनेक्टिविटी की अच्छी गुणवत्ता से जुड़ा है.
ट्राई प्रमुख ने कहा कि आम धारणा यह है कि मोबाइल टावर की मौजूदगी सभी समस्याओं का निराकरण कर देगी, लेकिन इमारतों के भीतर कनेक्टिविटी अभी भी एक चुनौती है. उन्होंने कहा, ‘लोगों का मानना है कि एक बार टावर आ जाएगा, सब कुछ काम करने लगेगा. यह एक मिथक है. पहले लंबी-लंबी इमारतें बन जाती हैं और उसके बाद हम कनेक्टिविटी के बारे में सोचते हैं.
शर्मा ने कहा कि कई बार तो एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने पर ही मोबाइल नेटवर्क की गुणवत्ता में फर्क आ जाता है. यह समस्या सिर्फ बहुमंजिला आवासीय इमारतों की ही नहीं, बल्कि अस्पतालों, मॉल और उप-नगरीय क्षेत्रों में स्थित कार्यालयी इमारतों में भी है. उन्होंने कहा कि इसका दीर्घावधि में एक ही समाधान है और वह है फाइबर कनेक्टिविटी.
ट्राई प्रमुख ने कहा, ‘ मेरा मानना है कि पारंपरिक तौर पर हम बिजली, पानी और केबल टीवी की लाइन को ही प्राथमिकता देते हैं, जब किसी इमारत का निर्माण हो रहा होता है, तो हम इन सबके लिए प्रावधान करते हैं, लेकिन ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, वॉयस और डेटा कनेक्टिविटी के लिये ऐसा प्रावधान नहीं करते हैं. इसका सबसे बड़ी वजह हमारी सोच है कि यह सब मोबाइल टावर से काम करेगा.
उन्होंने कहा कि असल में पर्याप्त मात्रा में टावरों की संख्या भी अच्छी गुणवत्ता का नेटवर्क तैयार नहीं करेगी. इसका समाधान नीति और व्यवहार में बदलाव लाकर हो सकता है. शर्मा ने कहा कि आरडब्ल्यूए दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को अपार्टमेंट में प्रवेश देने के लिए के लिए शुल्क वसूलते हैं. उन्हें लगता है कि इससे होने वाली आय से वह लोगों को अधिक अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं, लेकिन यह चीजों को दूसरे तरीके से देखने का नजरिया है.
शर्मा ने कहा कि निवासियों को अच्छी सुविधाएं तब मिलेंगी, जब उनकी कनेक्टिविटी की जरूरतें पूरी होंगी. उन्होंने कहा कि ऐसे में यह आरडब्ल्यूए के हित में होगा कि वे अपनी इमारतों में हर दूरसंचार सेवाप्रदाता को प्रवेश का मौका दें. इन सभी कंपनियों को दूरसंचार से जुड़ा एक साझा करने लायक बुनियादी ढांचा बनाने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि इन्हें अपनी सेवा उपलब्ध कराने में ‘बटन खोलने और बंद करने’ जैसी आसानी हो.
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Posted By : Vishwat Sen