महादेव की नगरी काशी दुनिया के सबसे पुराने आध्यात्मिक शहर में से एक है. काशी का इतिहास 3500 वर्ष पुराना लिखित रूप में आज भी मौजूद है. यहां मां गंगा के पश्चिमी घाट पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ का मंदिर भी विराजमान है. इसी मंदिर के निकट दक्षिण दिशा में साक्षात माता अन्नपूर्णा देवी का मंदिर है.
धन्य धान की देवी माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन-पूजन के लिए मंगलवार की सुबह 4 बजे से भक्तों के लिए दर्शन का पट खुल गया है. माँ अन्नपूर्णा भक्तों को अन्न धन प्रदान करती है. धनतेरस के दिन माता के अनमोल खजाने को भक्तों के लिए खोला जाता है. खजाने का वितरण साल में बस एक बार धनतेरस के एक दिन ही किया जाता है.
मान्यता है कि माता के मंदिर से मिले खजाने को अपने घर मे रखा जाए तो मनुष्य को कभी धन , सुख और समृद्धि में कमी नही होती है. माता अन्नपूर्णा को पार्वती का ही स्वरुप बताया गया है. नवरात्रि में माता के 8 स्वरूप को अष्टम महागौरी के दर्शन माता अन्नपूर्णा का ही होता है. माता अन्नपूर्णा की उपासना करने से कई जन्मों से चली आ रही दरिद्रता का निवारण हो जाता है.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान शिव जब काशी आये तो महादेव की नगरी काशी में कोई भूखा न रहे इसके लिए महादेव ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी. माता ने भिक्षा के साथ साथ ये वचन दिया की काशी में कभी कोई भूखा नही सोयेगा.
काशी के पण्डित राम नारायण त्रिवेदी बताते हैं कि इसबार क़ई संयोग एकसाथ बन रहे हैं. भव्म प्रदोष सहित धन त्रयोदशी जयंती सब तिथि एकसाथ ही है. धन्वंतरि जयंती के दिन आयुष्य और आरोग्य के देवता को पूजने का विधान है. वाराणासी में स्थित अन्नपूर्णा मन्दिर अकेला पूरे भारत में ऐसा मन्दिर है, जहाँ तीनो देवियां साथ में विराजित है. माता अन्नपूर्णेश्वरी, माता भूमि देवी, माता लक्ष्मी साथ में विराजित है.
इन तीनो देवियों का जो भी व्यक्ति साथ में दर्शन करता है. उसके जीवन में सुख -समृद्धि, धन, ऐश्वर्य में वृद्धि होती हैं। कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहती हैं. इसबार महासंजोग बना है. भव्म प्रदोष, वयपिनी त्रयोदशी इसबार एकसाथ योग में प्राप्त हो रही है. इस दिन माता का दर्शन करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है.
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रिपोर्ट : विपिन कुमार