पश्चिम बंगाल के आसनसोल के भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी (Jitendra Tiwari) के मामले में हाईकोर्ट (High court) के डिविजन बेंच के आदेश के कारण राज्य सरकार को पुरजोर झटका लगा है. जस्टिस जयमाल्य बागची के डिविजन बेंच ने आदेश दिया कि कोयला तस्करी मामले मे जितेंद्र तिवारी के खिलाफ सीआईडी (CID) जांच नहीं कर सकती है. इससे पहले सीआईडी ने कोयला तस्करी के मामले में जितेंद्र तिवारी को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था, सीआईडी के इस नोटिस के खिलाफ जितेंद्र तिवारी ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने सीआईडी के नोटिस पर रोक लगा दी थी, लेकिन राज्य सरकार ने इस फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी थी, लेकिन इस मामले में खंडपीठ से भी राज्य सरकार को निराशा ही हाथ लगी है.
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आसनसोल के पूर्व मेयर और भारतीय जनता पार्टी के नेता जितेंद्र तिवारी के खिलाफ कोयला तस्करी मामले में सीआईडी जांच के आवेदन को न्यायाधीश जयमाल्य बागची व न्यायाधीश अपूर्व सिन्हा की खंडपीठ ने खारिज कर दिया है. खंडपीठ ने न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें सीआईडी के समानांतर जांच पर रोक लगायी गयी थी. हाईकोर्ट के खंडपीठ ने यह भी कहा है कि जब सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है, तो सीआइडी को समानांतर जांच करने की जरूरत नहीं है. खंडपीठ ने दो सप्ताह के भीतर हलफनामा जमा करने को कहा है और दुर्गापूजा की छुट्टी के चार सप्ताह के अंत में मामले की दोबारा सुनवाई होगी.
गौरतलब है कि कोयला तस्करी मामले में सीआईडी ने जितेंद्र तिवारी को तलब किया था, जिसे लेकर आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक पूर्वाग्रह में उन्हें परेशान करने के लिए सीआईडी ने नोटिस भेजा है. इसके खिलाफ उन्होंने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि जब केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही हैं, तो सीआईडी को अलग से मामले की जांच करने की जरूरत नहीं है. अब खंडपीठ ने भी यही फैसला सुनाया है.