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कोरोना की धमक से लोग चिंतित, महीनों से समाप्त है कोविड-19 की वैक्सीन, रेफरल अस्पताल में संसाधन की कमी

कोविड-19 के इस दौर से सामना करने के लिए सरकारी स्तर पर बैठक का दौर शुरू हो गया है पर धरातल स्तर पर संसाधन का घोर अभाव होना लोगों की चिंता और बढ़ा रही है.

औरंगाबाद. देश में कोविड-19 की धमक से लोग चिंतित हैं. पिछले कोविड-19 संक्रमण की कहर लोगों ने अपने आंखों से देखा है. लाइलाज महामारी की चपेट में आने से कई लोगों की जान चली गयी. कोरोना संक्रमण के संभावित खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. इसके साथ हीं कोविड-19 के इस दौर से सामना करने के लिए सरकारी स्तर पर बैठक का दौर शुरू हो गया है पर धरातल स्तर पर संसाधन का घोर अभाव होना लोगों की चिंता और बढ़ा रही है. आखिर चिंतित हो भी तो क्यों नहीं जब स्थानीय अस्पताल में कोविड-19 का वैक्सीन महीनों से समाप्त है .इसके बावजूद प्रबंधन के कान तक जूं नहीं रेंग रही है.

चिकित्सकों के सृजित 27 पद में 24 है रिक्त

पीएचसी व रेफरल अस्पताल कुटुंबा में चिकित्सक व कर्मियों की भारी कमी है. चिकित्सक के सृजित 27 पद में वर्तमान में 24 पद रिक्त है. वैसे कुछ दिन पूर्व कुटुंबा में 20 एमबीबीएस की पदास्थापना हुई थी. इसमें से अधिकतर छुट्टी पर चले गये हैं. एक एमबीबीएस चिकित्सक डॉ नागेंद्र प्रसाद सिन्हा के भरोसे प्रखंड का प्रभार के साथ-साथ स्वास्थ्य व्यवस्था है. उन्हें ओपीडी व इनडोर ड्यूटी के अलावे प्रखंड के आठ एपीएचसी व 26 एचएससी के विजीट के साथ-साथ साप्ताहिक बैठक से लेकर बीडीसी व जिला के बैठक में शामिल होना पड़ता है. इधर, डॉ आकांक्षा सिंह एपीएच सी अंबा व डॉ मो सुफियान कैसर एपीएचसी पिपरा बगाही में सेवा दे रहे हैं.

डॉक्टरों की है भारी कमी

रेफरल अस्पताल कुटुंबा में एक दंत चिकित्सक डॉ सूचित कुमार पांडेय कार्यरत हैं. डॉ लालदेव प्रसाद सिंह की आसामायिक मृत्यु हो गयी है. डॉ राजीव रंजन, डॉ रोहित राज, डॉ मृगनैनी सिंहा व डॉ जोहरा ईमाम उच्च शिक्षा के लिए विरमित हो गए हैं. इधर डॉ रविरंजन, डॉ जयंती कुमारी, डॉ प्रद्योतरंजन, डॉ हर्षवर्धन, डॉ अंकिता कुमारी व डॉ रविराज मोहित, डॉ सुरेंद्र लंबी छुट्टी पर हैं. डॉ शुभम कुमार को डीएचएस में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है. वहीं एपीएचसी तुरता के डॉ मनीष कुमार दो दिसंबर से बगैर सूचना के गायब हैं.

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स्वास्थ्य कर्मियों की है भारी कमी

प्रखंड के रेफरल अस्पताल कुटुंबा में जरूरत के अनुसार स्वास्थ्य कर्मी नहीं है. कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रखंड के अस्पतालों में स्वीकृत पद 205 है. इनमें 108 पद रिक्त है.फार्मासिस्ट के सृजित पद 11 में दो पदस्थापित हैं. 9 पद रिक्त है.इसी तरह स्वास्थ्य प्रशिक्षक के सात पदों में चार रिक्त है.लिपिक के 10 पद में से छह पद रिक्त है.कार्यालय परिचारी के 37 पदों में 21 पदस्थापित है. वहीं 16 पद रिक्त है.प्रयोगशाला प्रावैधिक 10 में मात्र एक मौजूद हैं. वहीं 9 पद रिक्त है. प्रखंड के अस्पताल में एएनएम 70 में 39 मौजूद हैं व 31 पद रिक्त है. हालांकि, विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हाल फिलहाल में 22 एएनएम की पोस्टिंग हुई है.

बच्चों को वैक्सीन की है सख्त जरूरत

नौनिहालों को वैक्सीनेशन की सख्त जरूरत है. कोरोना काल में भी छोटे बच्चे एतिहायत बरतने से परहेज करते हैं. स्कूल में पढ़ने या फिर फील्ड में खेलने जाने पर संक्रमण का खतरा अधिक रहता है. वैसे जन्म से लेकर 11 वर्ष के ऊपर के बच्चों के लिए अभी तक सरकारी स्तर पर वैक्सीन की सुविधा नहीं हुई है. इधर 12 से 14 वर्ष के बच्चे कोवैक्सीन के एक डोज लेकर दूसरे के लिए भटक रहे है. स्वास्थय विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रिकौशन डोज में भी 18 वर्ष से उपर वाले के लिए कोवैक्सीन की जरूरत है. उपलब्ध होने के कारण लोगों को वैक्सीनेशन नहीं किया जा रहा है.

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