बिहार के औरंगाबाद में सुखाड़ के काले साये ने किसानों की नींद उड़ा दी है. बारिश के लिए जगह-जगह पूजा-पाठ का दौर चल रहा है. अंधविश्वास और टोटके का भी सहारा लिया जा रहा है. इसके बावजूद इंद्र देव की कृपा नहीं बरस रही है. लेकिन एक टोटके ने भगवान को खुश कर दिया. अब इसे अंधविश्वास कहें या एक अलग तरह की विश्वास हसपुरा प्रखंड के अहियापुर एवं अल्पा गांव में ग्रामीणों ने बारिश के लिए पूरे विधि विधान से दो मेंढक की शादी कराई.
मेंढक की शादी से खुश होते हैं भगवान इंद्र
ग्रामीणों का मानना था कि मेंढक की शादी कराने से इंद्र भगवान खुश होते हैं जिसके बाद क्षेत्र में बारिश होती है और खुशहाली लौट आती है. वैसे भी गांवों में ऐसी परंपरा रही है कि अगर वर्षा नहीं हो रही है तो मेंढ़क की शादी कराने से वर्षा होने लगती है. इस शादी का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
महिलाओं ने गाया शादी का गीत
मेंढक की शादी के दौरान महिलाएं शादी की गीत भी गाती दिखी. मेंढकी को दुल्हन की तरह सजाया गया और उसे लाल चुनरी भी ओढ़ाई गई. मेंढक को भी दुल्हे की तरह सेहरा पहनाया गया और फिर दुल्हे की द्वार पूजा भी हुई. शादी के बाद मेंढकी की विदाई भी की गई. इस अनोखी शादी में पूरा गांव सम्मलीत हुए जहां पंडित ने पूरे विधि विधान के साथ शादी कराई.
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रस्मों रिवाज के साथ की गई शादी
दोनों गांव में एक गांव के लोगों ने शराती की और दूसरे गांव के लोगों ने बराती की भूमिका निभाई .पता चला कि जब मेंढक की शादी की रस्म शुरू होने लगी तो आसमान में बादलों का जमावड़ा लग गया. कन्यादान की रस्म पूरी होते-होते झमाझम बारिश होने लगी. इसके बाद तो किसानों व ग्रामीणों में खुशियों की लहर दौड़ गई. गांव के ही नितेश और भीखर ने मेंढक के पिता की भूमिका निभाई और दोनों ने समधी मिलन भी किया. गांव के मंदिर में हो रही शादी की चर्चा जोरों पर है.