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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन: खुद के पैसे से किसानों ने खरीदे बीज, भुगतान नहीं होने से बढ़ी परेशानी

दो वित्तीय वर्ष का हजारों किसानों का लगभग छह करोड़ रुपया बकाया है. जिसका भुगतान नहीं हुआ है. इस स्थिति में जिले के किसान परेशान हैं. पैसों के अभाव में तंगहाली बनी हुई है, जिससे खेती भी प्रभावित हो रही है. ये करोड़ों रुपये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसए) योजना के तहत बकाया है.

बिहार: औरंगाबाद जिले के किसानों ने पहले अपना पैसा लगा कर बीज खरीद लिया, लेकिन उनके अनुदान के पैसों का भुगतान नहीं हो सका है. ऐसे एक-दो किसान नहीं हैं, बल्कि इनकी संख्या हजारों में है. दो वित्तीय वर्ष का हजारों किसानों का लगभग छह करोड़ रुपया बकाया है. जिसका भुगतान नहीं हुआ है. इस स्थिति में जिले के किसान परेशान हैं. पैसों के अभाव में तंगहाली बनी हुई है, जिससे खेती भी प्रभावित हो रही है. ये करोड़ों रुपये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसए) योजना के तहत बकाया है. एनएफएसए के तहत प्रत्यक्षण पर हर साल किसानों के बीच बीज वितरण किया जाता है. प्रावधान है कि प्रत्यक्षण पर किसान पहले खुद का पैसा लगाकर बीज की खरीदारी करेंगे और फिर उनके पैसों का भुगतान किया जायेगा. बीज का दर सरकार द्वारा निर्धारित रहता है.

भुगतान के लिए विभाग का लगा रहे हैं चक्कर

वित्तीय वर्ष 2020-21 व 2022-23 में जिले के हजारों किसानों ने प्रत्यक्षण का बीज खरीद तो लिया. लेकिन, उनके पैसों का अब तक भुगतान नहीं हो सका है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में किसानों का करीब 2.5 करोड़ व वित्तीय वर्ष 2022-23 का किसानों का 3.5 करोड़ रुपये बकाया है. हालांकि, वर्ष 2022-23 का कुछ प्रखंडों का ही भुगतान बकाया है. इस स्थिति में किसान खासा परेशान हैं और भुगतान के लिए विभाग का चक्कर लगा रहे हैं तथा विवश होकर अधिकारियों से संपर्क साध रहे हैं. एनएफएसए के तहत प्रत्यक्षण पर खरीफ, रबी व गरबा फसलों के बीज का वितरण किया जाता है.

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फिर से बीज खरीद से कतरा रहे किसान

किसानों की आर्थिक स्थिति सीमित होती है. जिन लोगों ने पहले पैसा लगा कर बीज की खरीदारी की और शीघ्र भुगतान की उम्मीद थी. अब उनका पैसा फंसा हुआ है. लिहाजा अब प्रत्यक्षण पर बीज खरीद से कतरा रहे हैं. कृषि विभाग के प्रति किसान किसानों में निराशा के साथ-साथ आक्रोश भी है. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर वे क्या करें और कहां गुहार लगाएं. किसानों का कहना है कि उनके बारे में सोचने वाला कोई नहीं है. सिर्फ किसानों की मदद और उनके उत्थान की बातें की जाती है. आत्मनिर्भर बनाने के साथ आय बढ़ाने का भरोसा दिया जाता है, लेकिन हकीकत बिल्कुल उल्टा है. अब खरीफ फसल के तहत फिर से बीज वितरण का काम शुरू होने वाला है. ऐसे में किसान बीज खरीदने से परहेज करेंगे. किसान कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही को इसका प्रमुख कारण मान रहे हैं.

स्वीकृत योजना के अनुरूप नहीं मिली राशि, भुगतान अटका

जानकारी के अनुसार जिले में जितनी योजनाएं स्वीकृत हुई, उसके अनुसार राशि नहीं मिली. इस कारण प्रत्यक्षण के पैसों का भुगतान नहीं हो पा रहा. हालांकि, किसान लगातार प्रत्यक्षण के पैसों के भुगतान की मांग कर रहे हैं और अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. अधिकारियों द्वारा भी जल्द भुगतान का आश्वासन दिया जा रहा है मगर भुगतान नहीं हो सका है. इधर जिला कृषि पदाधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि एनएफएसए की बकाया राशि के भुगतान के लिए प्रयास किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2021-22 का भुगतान हो चुका है. जबकि, 2022-23 में भी कुछ प्रखंडों का भुगतान कराया गया है. शेष का भी जल्द भुगतान कराया जायेगा.

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