औरंगाबाद. बिहार के औरंगाबाद जिले से अब तक की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है. औरंगाबाद के भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह और गोह के पूर्व विधायक डॉ रणविजय कुमार को नक्सलियों ने धमकी दी है. नक्सलियों द्वारा धमकी पोस्टर चिपका कर दी गयी है. गोह और बंदेया थाना क्षेत्र के कई गांवों में नक्सलियों द्वारा पोस्टर चिपकाये गये है. पोस्टर चिपकाने की सूचना मिलते ही पुलिस महकमा हरकत में आ गया. पोस्टर गोह थाना क्षेत्र के पेमा गांव व डिहुरी गांव में चिपकाया गया है. वहीं, बंदेया थाना क्षेत्र के महरी व जैतीया में भी पोस्टर देखा गया है. चिपकाये गये पोस्टर में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी स्पष्ट अंकित है.
चिपकाये गए पोस्टर में लाल सलाम के साथ कहा गया है कि सांसद सुशील कुमार सिंह जब तक क्षेत्र में नहर नहीं लाएंगे, तब तक क्षेत्र में घूमने पर मार्क्सवादी ( एमसीसी) कम्युनिस्ट पार्टी आपको प्रतिबंधित करती है. यदि आप आदेश नहीं मानेंगे तो माओवादी का विरोध झेलना पड़ेगा. दूसरे पैराग्राफ में गोह के पूर्व विधायक डॉ रणविजय सिंह के नाम धमकी में लिखा गया है कि जो हाल पिसाय के सुशील पांडे का हुआ है वहीं आपका भी होगा. माओवादियों ने पोस्टर के माध्यम से गोह के जदयू कार्यालय व पूर्व विधायक को उड़ाने की धमकी दी है.
हालांकि, पूर्व विधायक रणविजय कुमार की हत्या करने को लेकर नक्सलियों ने कई बार पोस्टर चिपकाये है. सरकार ने पूर्व विधायक व उनके गांव की सुरक्षा को लेकर बंदेया में थाना भी स्थापित किया है. बावजूद नक्सलियों द्वारा पोस्टर चिपकाकर धमकी दी जा रही है. गोह थानाध्यक्ष कमलेश पासवान ने पुष्टि करते हुए कहा कि पेमा व डिहुरी गांव के लोगों द्वारा सूचना मिली थी, लेकिन स्थल पर जाने के बाद वहां पोस्टर उखाड़ लिया गया था. वहीं, प्रभारी थानाध्यक्ष अरविंद सिंह ने भी पोस्टर चिपकाने की पुष्टि की है. हालांकि, घटना स्थल पर पुलिस पहुंची तो पोस्टर नहीं था.
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औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह ने धमकी भरे पोस्टर का जवाब शालिनता से दिया है. उन्होंने कहा कि अगर मेरी जान लेने से नहर आ जाती है, तो हम जान देने को तैयार है. सेवा उनका प्रथम कर्तव्य है. 24 घंटे जान हथेली पर लेकर क्षेत्र का भ्रमण कर जनता की सेवा करते है. वे अपनी बली देने के लिए तैयार है. सांसद ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का क्षेत्र में घूमना परम कर्तव्य है. ऐसे में रोकना अलोकतांत्रिक है. क्षेत्र की समस्याओं व समाधान के लिए वे क्षेत्र भ्रमण करते रहे है. सुख-दुख के भागीदार भी रहे है. जनता को इससे लाभ मिलता है. जहां तक नहर की बात है, तो केंद्र में जब कांग्रेस की सरकार थी तो वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने नहर के निर्माण पर रोक लगा दिया था. वर्ष 2014 में उनके ही प्रयास से रोक हटाया गया और उसका कार्य जारी है.
औरंगाबाद से सुजीत सिंह की रिपोर्ट