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अजीत रानाडे

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बड़े राहत पैकेज की पहल हो

केंद्र को जीडीपी के कम-से-कम चार प्रतिशत के बराबर राजकोषीय राहत पैकेज जारी करना चाहिए, जो करीब आठ लाख करोड़ की राशि होगी.

भारत का बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार

फॉरेक्स एकत्र करने का आरबीआइ का फैसला सही है. यह बड़ी उपलब्धि है, लेकिन ज्यादा उत्साहित होना ठीक नहीं. लद्दाख की छाया अभी स्पष्ट नहीं है.

भारत-चीन व्यापार की दिशा

सीमा विवाद और लद्दाख में सैनिकों की शहादत के बाद व्यापार प्रतिबंध की हिमायत शुरू हो गयी है. एप्स पर प्रतिबंध चीनी कंपनियों के लिए संकेत है.

महंगाई के मोर्चे पर चिंता

हमें मंदी और बढ़ती महंगाई की दोहरी चुनौती से निपटना है. आय का स्रोत छिनने और जीवनयापन की बढ़ती दुश्वारियों से कई लोग गरीबी और खाद्य असुरक्षा में फंस सकते हैं.

वित्तीय स्थिरता और बैंकों की स्वायत्तता

ऋण अदायगी के लिए आसान तरलता, मौद्रिक सहजता और उदार अधिस्थगन (मॉरेटोरियम) जैसे उपायों के बावजूद आरबीआइ सकल एनपीए अनुपात में वृद्धि की उम्मीद कर रहा है.

राज्यों की राजकोषीय मदद करे केंद्र

राज्यों और केंद्र को देश के विकास के लिए एक सामान्य दृष्टिकोण अपनाना होगा. संतुलित विकास के लिए राज्य और केंद्र के बीच अधिक सहयोग और लेन-देन की जरूरत होगी.

चुनौती बन गये हैं बैंकों के फंसे कर्ज

आरबीआइ द्वारा दरों में कटौती के बावजूद बैंक अच्छे कर्जदारों को कम ब्याज लागत देने में असमर्थ हैं, क्योंकि एनपीए का बोझ बढ़ रहा है.

फसल की कीमतों का भी आश्वासन मिले

एपीएमसी को कमजोर किये जाने से एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो जायेगी. इसलिए मौखिक आश्वासन ही नहीं, बल्कि नीति निर्माताओं को लिखित रूप में भी देना चाहिए.

बैंकों को बोझ नहीं, सहयोग की जरूरत

बैंकों पर अनुचित बोझ डालने के बजाय यह बेहतर है कि सरकार इसे अपने स्तर पर सुलझाये और सीधे सरकारी खजाने से करदाताओं को राहत दे.
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