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अनिल त्रिगुणायत

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भारत-चीन संबंधों में सराहनीय सुधार

India-China relations : चीन ने भारत की मांग को मान लिया है, जिसे हम परस्पर विश्वास बनाने की पहल या सहमति कह सकते हैं. इस सहमति से इस संभावना को बल मिला है कि रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों के नेताओं की शिखर बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच द्विपक्षीय बातचीत हो.

बढ़ते तनाव के लिए कनाडा जिम्मेदार

भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव गंभीर हो गया है, पर यह स्थिति अचानक से नहीं बिगड़ी है.

पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के मायने

PM Modi US visit: अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वहां से बड़ी मात्रा में निवेश भी आता रहा है. साथ ही, दोनों देश सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र भी हैं. ऐसे में दोनों देशों में विचारों में बहुत हद तक समानता है.

Russia-Ukraine: रूस-यूक्रेन युद्ध रोक में भारत की मध्यस्थता के मायने

Russia-Ukraine:यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की यह चिंता भी है कि अगर अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप जीतते हैं, तो वे जल्दी लड़ाई समाप्त कराने का प्रयास करेंगे. यह सब जानते हैं कि यूरोप अकेले इस युद्ध को आगे नहीं ले जा सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे का असर दुनियाभर में पड़ता है.

पीएम मोदी की पोलैंड-यूक्रेन यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो पूर्वी यूरोपीय देशों- पोलैंड एवं यूक्रेन- के दौरे पर हैं. अपनी इस यात्रा के क्रम में वे पोलैंड के बाद यूक्रेन पहुंचे हैं. यह यात्रा यह इंगित करती है कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में सकारात्मक साख होने तथा लगभग सभी देशों से संबंध होने के बावजूद भारत को कई देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों को अभी मजबूत करना बाकी है.

पश्चिम एशिया में संकट और गहरायेगा

Iran Israel War : पिछले साल सात अक्तूबर को जब हमास ने इस्राइल पर हमला किया था, तब उस हमले को इस्राइली इंटेलिजेंस एवं सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी सेंध माना गया था.

अमेरिका में बढ़ गया है राजनीतिक विभाजन

अमेरिका में ‘गन कल्चर’ पर बहुत लंबे समय से बहस चल रही है. जब कोई ऐसी घटना होती है, तो यह बहस तेज हो जाती है.

जी-7 में भरोसेमंद आवाज बन गया है भारत

सकल घरेलू उत्पादन के मामले में जी-7 समूह की चार बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से भारत आगे निकल चुका है. इसके निरंतर विकास और विश्व में बड़ी भूमिका की कोशिश से वह अपने सिद्धांत-आधारित विदेश नीति को आगे बढ़ाने की स्थिति में है.

बेहद महत्वपूर्ण है चाबहार समझौता

भारत पहले से ही रूस और ईरान के साथ मिलकर इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर के विकास के लिए प्रयासरत है. इसी क्रम में चाबहार बंदरगाह की योजना बनी, जिस पर 2003 से काम चल रहा है.
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