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अनिल त्रिगुणायत

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स्वार्थ से प्रेरित है भारत विरोधी प्रचार

हमें एक संचार रणनीति बनानी चाहिए. हमें भी विभिन्न पश्चिमी देशों की आंतरिक स्थिति के बारे में एक जगह जानकारी एकत्र करनी चाहिए.

पश्चिम एशिया संकट का भारत पर प्रभाव

भारत को अपने हितों, पश्चिम एशिया में शांति एवं स्थायित्व तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को देखते हुए वर्तमान स्थिति में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.

भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी अनुचित

जब भी कोई देश हमारे बारे में अनाप-शनाप आरोप लगाये, तो जवाब में हमें भी सार्वजनिक रूप से उनके बारे में बोलना चाहिए और यह पूछना चाहिए कि इन कमियों के बारे में वे देश क्या कर रहे हैं.

भारत के लिए पुतिन की जीत के मायने

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उनकी जीत के बाद जो संदेश भारतीय प्रधानमंत्री की ओर से गया है, वह भी परस्पर विश्वास और सहयोग की भावना को प्रतिबिंबित करता है.

कतर में भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

भारत एवं कतर के संबंध में एक प्रभावशाली कारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर तमीम बिन हमाद अल थानी के बीच परस्पर सम्मान और निकटता है. प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद शेख तमीम भारत दौरा (मार्च 2015) करने वाले पहले अरब नेता थे. उसके अगले साल प्रधानमंत्री मोदी ने कतर की यात्रा की थी.

देश की सुरक्षा और विदेश नीति में स्पष्टता आयी है

पहले यह होता था कि विदेश नीति की बागडोर मुख्य रूप से विशेषज्ञों और कूटनीतिकों के हाथ में हुआ करती थी. वर्तमान सरकार में हमने देखा है कि प्रक्रिया बदली है और विदेश नीति में अधिक जन-भागीदारी को बढ़ावा दिया गया है.

गहन होते भारत-फ्रांस द्विपक्षीय संबंध

निर्भरता और विश्वास पर आधारित ठोस संबंध कुछ ही देशों के साथ स्थापित हो सकता है. कई पश्चिमी देशों के साथ भरोसे को लेकर स्थिति सहज नहीं रहती है, पर फ्रांस के साथ ऐसा नहीं है.

मालदीव : मंत्रियों का आचरण अमर्यादित

मुइजू अनेक बयानों में यह कह चुके हैं कि भारत ने कई क्षेत्रों में मालदीव को सहयोग दिया है और वे भारत से अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन अगर उनके मंत्री और उनकी पार्टी के नेता भारत या भारत के प्रधानमंत्री के बारे में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करेंगे, तो स्वाभाविक है कि संबंधों में दरार आयेगी.

सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार आवश्यक

जितने भी विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय समूह हैं, भारत उनका संस्थापक सदस्य है. संयुक्त राष्ट्र की भावना और निर्णयों को भारत ने हमेशा सम्मान की दृष्टि से देखा है तथा वैश्विक संस्थाओं को बेहतर और बहुपक्षीय बनाने में हरसंभव योगदान दिया है.
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