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अनिल त्रिगुणायत

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गहरे होते भारत-यूएई संबंध

खाड़ी देशों के साथ हमारे संबंध परिपक्व और बहुआयामी हो गये हैं क्योंकि भारत ने इनसे रणनीतिक सहयोग के समझौते किये हैं.

ताइवान पर तकरार के मायने

अगर चीन चाहता है कि भारत 'वन चाइना पॉलिसी' का समर्थन करता रहे, तो उसे भी भारत की एकता, अखंडता व संप्रभुता का सम्मान करना होगा.

क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में न डाले अमेरिका

बड़ी शक्तियां केवल अपने हितों के हिसाब से भू-राजनीतिक खेल खेलती हैं. अमेरिका चीन के खिलाफ भारत का साथ देने का दम भरता है, पर उसे यह भी मालूम है कि पाकिस्तान चीन का कितना करीबी है.

भारत-इस्राइल की बढ़ेगी निकटता

इस्राइयल के साथ हमारे संबंध व्यापक स्तर पर हैं. संबंध गहराने की अवधि में अधिकतर समय तक नेतन्याहू ही प्रधानमंत्री रहे हैं. उनकी वापसी भारत के लिए तो निश्चित रूप से अच्छी खबर है, पर उनके अपने क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं.

चीन को लेकर रक्षा तैयारी में न हो कमी

चीन की हरकतों से साफ पता चलता है कि वह एशिया में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है और इसके लिए वह अपनी ताकत की धौंस दिखाता रहता है.

नेपाल में नयी सरकार और संभावनाएं

हमारा आग्रह यही रहता है कि नेपाल हो या और कोई अन्य पड़ोसी देश हमारी चिंताओं पर ध्यान दे. हमें ‘पड़ोसी पहले’ की नीति को मजबूत करना चाहिए. भारत ने नेपाल में कई परियोजनाएं बनायी हैं. कुछ में देरी भी होती है.
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