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Anuj Kumar Sinha

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झारखंड में हेमंत सरकार की जीत के मायने, पढ़ें प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक...

Jharkhand Assembly Elections : इस चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन ने पूरी ताकत लगा दी थी. लोकसभा चुनाव में झारखंड में भाजपा को आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट में एक पर भी जीत नहीं मिली थी. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को 28 आरक्षित (एसटी) सीटों में सिर्फ दो सीट (खूंटी-तोरपा) पर जीत मिली थी.

Birsa Munda Jayanti: दुर्लभ दस्तावेजों में दबे पड़े हैं बिरसा मुंडा से जुड़े सत्य,...

Birsa Munda Jayanti: बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने बिरसा के समर्थकों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी. इसमें कितनों की जान गयी थी इसकी खुलासा अभी तक नहीं हो सका है.

Birsa Munda Jayanti: राष्ट्रीय नायक हैं भगवान बिरसा मुंडा

Bhagwan Birsa Munda: बिरसा मुंडा को राष्ट्रीय नायक मानने में बहुत ज्यादा समय लग गया. बहुत ही कम उम्र में बिरसा मुंडा ने इतिहास रच दिया. 15 नवंवर, 1875 को उलिहातु में उनका जन्म हुआ था.

Jharkhand Election: जेपी ने दिया था झारखंड पार्टी व सोशलिस्ट पार्टी के तालमेल का...

Jharkhand Election: जयप्रकाश नारायण ने जयपाल सिंह की अगुवाई वाली पार्टी को प्रस्ताव दिया था कि चुनाव में वह सोशलिस्ट पार्टी का साथ दे और मिल कर चुनाव लड़े. लेकिन यह बात नहीं बन सकी.

Jharkhand Assembly Election 2024: जब पिता को हराकर पुत्र बना विधायक, जयपाल सिंह मुंडा...

Jharkhand Assembly Election 2024: साल 1951-52 के झारखंड विधानसभा चुनाव में एक पुत्र अपने पिता को हराकर विधायक बना था. कहानी कैलाश प्रसाद की है.

Jharkhand Chunav: कौन थे झारखंड के पहले कुड़मी नेता, जानें उनका चुनावी सफर

Jharkhand Chunav: जगन्नाथ महतो झारखंड के पहले कुड़मी नेता थे. उन्हें 1952 के विधानसभा चुनाव में जयपाल सिंह ने सोनाहातु प्रत्याशी बनाया था. उन्होंने कांग्रेस के प्रताप चंद्र मित्र को हराया था.

कौन हैं कामाख्या नारायण सिंह जिन्होंने छह सीटों से चुनाव लड़ा था और चार...

1952 पहली बार बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ था, तो कामाख्या नारायण सिंह ने छोटानागपुर में छह सीटों से चुनाव लड़ा था और इनमें से बगोदर, पेटरवार, गोमिया और बड़कागांव यानी चार सीटों से वे चुनाव में विजयी हुए थे.

Gua Golikand: सरकार ने तीर-धनुष पर लगा दिया था प्रतिबंध, इंदिरा गांधी को करना...

Gua Golikand: बिहार सरकार ने 1980 में गुवा गोलीकांड के बाद आदिवासियों के तीर-धनुष रखने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इंदिरा गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ा था.

क्षेत्रीय अखबारों का बढ़ता महत्व

पाठकों के बीच क्षेत्रीय अखबारों की पैठ यूं ही नहीं बनी है. अखबारों ने इसके लिए काफी काम किया है. दरअसल पाठकों ने महसूस किया कि राष्ट्रीय अखबारों ने उनकी जरूरत को बेहतर तरीके से या तो समझा नहीं है या समझने के बाद भी किसी कारण उसे उतना महत्व नहीं दिया, जितना पाठक उससे अपेक्षा करते थे.
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