मालदा : पति पेशे से रिक्शाचालक है. गरीबी की संसार में गृहवधू उर्मिला देवी को भी काम करना पड़ता है. उर्मिला देवी एक होटल में बरतन माजने व मसला पीसने का काम करती हैं. पति-पत्नी ने अपने सुनहरे भविष्य के लिए काफी कोशिश कर सारधा में 60 हजार रुपये जमा किये थे.
सारधा की ओर से आश्वासन दिया गया था कि कुछ सालों के अदंर उनका रुपये दोगुणा हो जायेगा. उर्मिलादेवी ने सोचा था कि चलो बेटी की शादी तो धूमधाम से हो जायेगी. लेकिन सारधा चिटफंड ने उर्मिला देवी के सारे सपने तोड़ दिया. ग्रामीण एक विद्यालय के सामने उर्मिला देवी के पति घुघनी बेचते है.
उनका दो बेटा भी है. जो स्कूल में पढ़ते हैं. काफी खर्च के बावजूद हर महीना किसी तरह से दो सौ रुपये वे सारधा में जमा करते थे. लेकिन एक पल में कष्ट द्वारा कमाई की गयी रुपये पानी में डूब गया. शंकर मंडल, उर्मिला मंडल जैसे निवेशकों की एक ही मांग हैं कि जैसे भी हो सरकार उनके रुपये लौटाने में उनका मदद करें.