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डॉ लाल

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आवश्यक है पारस्परिक संतुलन

मनुष्य, प्रकृति प्रदत्त उस पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें सभी जीव-जंतु एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. प्रकृति प्रदत्त एवं निरंतर विकासशील यह पारिस्थितिकी तंत्र जैव विविधता की दृष्टि से जितना समृद्ध होता है, उतना ही संतुलित माना जाता है. सूक्ष्म जीवों से लेकर बड़े-बड़े वृक्ष एवं जीव इस पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इनमें से किसी एक के भी लुप्त होने पर पूरा पारिस्थितिकी तंत्र प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है.
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