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डॉ संतोष
साहित्यकार एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष
भोजपुरी जनजागरण अभियान
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Opinion
मातृभाषा के प्रति अगाध प्रेम का दिन
विदित है कि किसी भी भाषा की उपेक्षा उस भाषा भाषियों के मां की उपेक्षा के समान होता है. बांग्ला के महाकवि गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने मातृभाषा के संबंध में लिखा है- ‘हमारा जन्म दो माताओं की गोद में हुआ.