BREAKING NEWS
हरवीर सिंह
Browse Articles By the Author
Prabhat Khabar Special
बदला परिदृश्य, पर नयी नीतियां हैं जरूरी
हरित क्रांति यानी 1966-67 के बाद बहुत बदलाव आये. अधिक उत्पादकता वाले बीजों की किस्में मंगायी गयीं और यहां की जलवायु के अनुसार उन्हें परिष्कृत किया गया. हरित क्रांति का असर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे पहले देखा गया, क्योंकि यहां के किसान बदलाव को स्वीकार करने में सबसे आगे थे.
Opinion
प्राकृतिक खेती को चरणबद्ध तरीके से ही बढ़ावा मिले
Natural farming फलों और सब्जियों में रासायनिक अवशिष्ट की मात्रा तय सीमा से कहीं अधिक है और इसकी ठीक से जांच हो, तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ सकते हैं. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) का यह जिम्मा है कि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य उत्पाद बाजार में न पहुंचे.
Opinion
डेयरी उद्योग का संकट बढ़ाएगा स्किम्ड मिल्क पाउडर
देश में जो एसएमपी स्टॉक है, उसके निर्यात की संभावना न के बराबर है. दूसरी ओर इसका उत्पादन लगातार बढ़ता ही जायेगा.
Badi Khabar
किसानों की स्थिति पर ध्यान जरूरी
दाम तय करने और देने की जो वर्तमान प्रक्रिया है, उससे किसानों को कुछ फायदा होता है और जहां सरकारी खरीद होती है, वहां कुछ अधिक फायदा होता है, जैसे उत्तर प्रदेश का कुछ हिस्सा, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि. धान की अच्छी सरकारी खरीद छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी होती है. लेकिन अगर हम पूरे देश की बात करें, तो बहुत सारी फसलों के दाम मिलने में दिक्कत होती है.
Opinion
जरूरी है कृषि ऋण की आसान उपलब्धता
भाजपा यदि एआइएडीएमके को लौटाने में नाकाम रहती है तो वर्ष 2022 में उसकी हैदराबाद कार्यकारिणी में तय प्रस्ताव के लक्ष्य पर असर पड़ सकता है.
Opinion
संभव है टमाटर संकट का समाधान
टमाटर जैसी सब्जियों के संकट को टालने के लिए कुछ कदम उठाये जा सकते हैं. जैसे, सबसे पहले तो इनके उत्पादन का स्पष्ट आंकड़ा उपलब्ध होना चाहिए. प्याज, आलू जैसी सब्जियों में तो काफी हद तक इसका पता चल जाता है.
Badi Khabar
संतोषजनक हो न्यूनतम समर्थन मूल्य
यदि सभी फसलों की ठीक से खरीद हो, तो हो सकता है कि किसान केवल दो-तीन मुख्य फसलों पर निर्भर ना रहे. एक और बात ध्यान रखनी जरूरी है कि यह खाद्य सुरक्षा से जुड़ा मसला भी है और उसे आप तभी हासिल कर सकते हैं जब आप किसानों को संतुष्ट रखेंगे.
Opinion
पेटा-अमूल विवाद में झलकती लॉबिंग
देश में आठ लाख करोड़ रुपये मूल्य के दूध का सालाना उत्पादन होता है और यह किसी भी कृषि उत्पाद के मूल्य से अधिक है.
Opinion
अर्थव्यवस्था को कृषि का सहारा
कृषि उत्पादन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और उसके चलते उत्पादन पर लॉकडाउन जैसे फैसलों का सीधे बहुत असर नहीं हुआ.