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जीएन बाजपेयी

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व्यापक विकास हो सरकार की प्राथमिकता

इन क्षेत्रों में व्यापक सुधारों की आवश्यकता है. पूंजी क्षमता में तो भारत की सकारात्मक तुलना अधिकतर देशों से हो सकती है, पर श्रम उत्पादकता में हम बहुत पीछे हैं.

समय पर न्याय देने का हो प्रयास

न्याय दिलाना भी एक मिशन होना चाहिए. ऐसे मिशन की शुरुआत इस पहचान से होनी चाहिए कि मामलों के निपटारे में देरी के कारण क्या हैं. देरी से निपटने के लिए अपरंपरागत तरीकों को अपनाने पर भी विचार किया जाना चाहिए.

भारत में वास्तविक सुधारों पर भी हो चर्चा

राजनीति और अर्थशास्त्र के कई विद्वान दूसरे चरण के सुधारों की बात तो करते हैं, पर अपने सुझावों को उत्पादकता के कारकों के पूरक सुधारों तक ही सीमित कर देते हैं. अगर हम सच में एक महान राष्ट्र बनाना चाहते हैं, तो दूसरे चरण के सुधारों के लिए पूरी संस्थागत संरचना में परिवर्तन आवश्यक है.

प्रशासनिक सुधारों का सही समय

संस्थाओं के स्वरूप में बदलाव, उनके कार्य क्षेत्र का पुनर्निर्धारण और कामकाज के तौर-तरीकों का पुनर्लेखन आज की प्राथमिक आवश्यकता है.

भविष्य उन्मुख व वृद्धिपरक बजट

वित्तमंत्री ने वित्तीय घाटा धीरे-धीरे कम करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता फिर जताते हुए राजस्व खर्च को कम और पूंजी खर्च को अधिक रखा है.
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