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Opinion
कर्पूरी ठाकुर के सपनों का भारत
कर्पूरी ठाकुर जानते थे कि भारतीय सामाजिक संरचना में वर्ग विभेद मौजूद है, इसलिए विरोध के लिए तैयार रहना होगा. उस अकेले व्यक्ति ने सदियों से चली आ रही सामाजिक संरचना की चूलों को हिलाकर रख दिया.
Opinion
मैला ढोने की प्रथा अमानवीय व अपमानजनक
हाथ से मैला साफ करना या मल से भरी टोकरी उठाने का काम सामंती उत्पीड़न की निशानी है. जातिगत व्यवस्था की मजबूत पकड़ से बंधे ये बेबस लोग समाज में आज भी तिरस्कृत हैं.
Badi Khabar
2024 का चुनाव और किसानों की मांग
भारत दुनिया के अग्रणी उत्पादक और निर्यातक देशों में शामिल है, यह सब को गर्व अनुभव कराने के लिए पर्याप्त है, लेकिन इतना होते हुए भी किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है. आज स्थिति ऐसी हो गयी है कि भारतीय किसान कर्ज में जन्म लेता है, कर्ज में ही पूरा जीवन रहता है और कर्ज में ही मर जाता है.
Opinion
कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना चाहिए
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय की बैटिंग करके कांग्रेस के पुराने चरित्र को बदलने का प्रयास किया है. ऐसा नहीं है कि ऐसा इस चुनाव से शुरू किया गया है
Opinion
समय की मांग है जातिगत जनगणना
यदि किसी जाति की वास्तविक स्थिति का पता ही नहीं होगा, तो उसके उत्थान हेतु नीति-निर्माण कैसे संभव हो पायेगा! यदि अत्यंत पिछड़ी जातियों की सामाजिक वंचना की समाप्ति के लिए उपाय करने में देरी की गयी, तो उससे असंतोष मुखर होने लगेगा.
Opinion
डॉ आंबेडकर और पूना पैक्ट के वर्तमान मायने
डॉ अंबेडकर का मानना था कि भारतीय समाज के भीतर समतावादी न्याय को बनाये रखने के लिए स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को बरकरार रखा जाना चाहिए
Opinion
भगत सिंह का वैचारिक दृष्टिकोण
भगत सिंह, भगवती चरण वोहरा द्वारा अप्रैल, 1928 में नौजवान भारत सभा का गठन किया गया, जिसके घोषणापत्र में क्रांति द्वारा समाजवादी समाज की संरचना का संकल्प लिया गया.
Opinion
उच्च शिक्षण संस्थानों में सामाजिक भेदभाव
दर्शन सोलंकी के परिजनों का आरोप है कि दर्शन को दलित होने की वजह से प्रताड़ित किया गया और यह आत्महत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह एक सुनियोजित हत्या है. दर्शन सोलंकी ने तीन महीने पहले ही आइआइटी मुंबई में दाखिला लिया था
Opinion
स्वामी सहजानंद: किसान आंदोलन के अग्रदूत
स्वामी जी की कद-काठी का अंदाजा इसी से लग जाता है कि उनके द्वारा गठित प्रांतीय किसान सभा में उनके सचिव के तौर पर बिहार के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री बाबू ने कार्य किया. सुभाषचंद्र बोस जनसभाओं में उन्हें धरती पर एक जादुई करिश्मे के नाम से पुकारते थे.