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डॉ कृष्ण कुमार रत्तू

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ट्रूडो का इस्तीफा और भारत-कनाडा संबंध, पढ़ें डॉ कृष्ण कुमार रत्तू का खास लेख

Justin Trudeau : भारत सरकार द्वारा लगातार दबाव बनाने तथा अन्य अल्पसंख्यकों, विशेषकर कनाडा स्थित हिंदू मंदिरों तथा हिंदू समुदाय के संस्थानों पर हमला करने के कारण जिस तरह से कनाडा में उनके विरुद्ध एक जनमत तैयार हुआ, उससे लगने लगा था कि अंतत: ट्रूडो को जाना पड़ेगा.

स्मृति शेष : ग्रामीण भारत के अंतर्मन की आवाज थे एमटी वासुदेवन नायर

एमटी वासुदेवन नायर भारत के उन लेखकों में शुमार थे, जिनकी रचनाओं का अनुवाद हर भाषा में मिलता है. वह सुप्रसिद्ध पत्रिका मातृभूमि के संपादक भी रहे. उनके चले जाने से जो रिक्तता भारतीय साहित्य में आयी है, उसे भरना बेहद मुश्किल है.

Memory Remains : तबले की ताल का एक युग थे उस्ताद जाकिर हुसैन

Ustad Zakir Hussain: उस्ताद हरफनमौला शख्सियत के मालिक थे. उन्होंने ‘सैंड एंड डस्ट’ जैसी फिल्म में 1983 में अभिनय किया, एक कलाकार की हैसियत से अपनी छाप छोड़ी तथा उसके बाद ‘द परफेक्ट मर्डर’ जैसी हॉलीवुड की फिल्मों में काम करते हुए अपनी दमदार कलाकारी के जौहर भी दिखाये.

कट्टरपंथ की ओर बढ़ता बांग्लादेश

Bangladesh : पाकिस्तान के कट्टरपन और जुल्मों से त्रस्त बांग्लादेश जब लंबे संघर्ष के बाद आजाद हुआ और एक स्वतंत्र देश बना, तब से लेकर अब तक जितनी भी सरकारें वहां आयीं, उनमे से शेख मुजीबुर रहमान के परिवार तथा उनकी पार्टी का ही वर्चस्व रहा है.

Samantha Harvey : धरती की सुंदरता बचाने की पैरोकार

Samantha Harvey : सामंथा ने इस पुरस्कार की घोषणा के बाद कहा कि इसे उन्होंने कोविड-19 के समय लिखना शुरू किया था. यह कोविड-19 महामारी के उस दौर को बयां करता है जिसे लॉकडाउन के दिनों में पूरी दुनिया में लोगों ने बहुत नजदीक से देखा था

बिबेक देबरॉय : एक बौद्धिक एवं अर्थशास्त्री का विदा होना

Bibek Debroy : बिबेक देबरॉय का जन्म 25 जनवरी 1955 को शिलांग (मेघालय) में हुआ. उनके पुरखे सिलहट (बांग्लादेश) से शिलांग आये थे. देबरॉय ने खेल सिद्धांत, आर्थिक सिद्धांत, आय और सामाजिक असमानताओं, गरीबी, कानून सुधार, रेलवे सुधार और भारतविद्या (इंडोलॉजी) में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

Diwali : अंधकार में एक दीया अंतर्मन में

Diwali : रोशनी अर्थात प्रकाश का एहसास, यही जिंदगी और ब्रह्मांड के शाश्वत शिल्प का दृश्य है. जिंदा रहने का यह दृश्य मन को अलौकिक रोशनियों के पार ले जाता है.

खुशहाली में संस्थानों की भूमिका की नयी दुनिया

अर्थशास्त्र की विशेष भूमिका को जिस तरह इन दिनों परिभाषित किया जा रहा है, वह एक अद्भुत अर्थशास्त्र और जीवन के प्रबंधन की स्थापना का नया युग है
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