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कृष्ण प्रताप सिंह
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Opinion
मोहन राकेश, जिन्होंने नाटकों की दुनिया बदल दी
Mohan Rakesh : हिंदी की कहानियों और उपन्यासों के क्षेत्र में उनका योगदान इसके अतिरिक्त है. वर्ष 1925 में आठ जनवरी को वे अमृतसर में एक सिंधी मूल के परिवार में पैदा हुए, तो माता-पिता ने उन्हें मदन मोहन गुगलानी नाम दिया, जिसे बाद में उन्होंने मोहन राकेश में बदल दिया.
Opinion
Death anniversary : मलिका-ए-गजल बेगम अख्तर का हिंदुस्तान के लिए अनूठा प्रेम
Begum Akhtar : फैजाबाद के उस भदरसा कस्बे में भी, जहां बेगम अख्तर का जन्म हुआ था, अब उनके कद्रदान नहीं ही हैं. फैजाबाद स्थित उनकी आलीशान कोठी में भी उनकी याद दिलाने वाला कुछ नहीं. जब वह 12-13 वर्ष की ही थी, उसकी मां मुश्तरी बाई उसे अच्छी संगीत शिक्षा दिलाने के लिए बिहार के गया ले गयी.
Opinion
Birth Anniversary : हिंदी जगत की चेतना के अग्रदूत प्रतापनारायण मिश्र
Birth Anniversary : हिंदी के भारतेंदु युग के ‘दूसरे चंद्र’ व 'प्रति हरिश्चंद्र' नामों से विभूषित और बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न साहित्यकार व संपादक स्मृतिशेष पंडित प्रताप नारायण मिश्र के खाते में और भी बहुत कुछ स्मरणीय है, खासकर उनका सादगी भरा फक्कड़पन और सजीवता भरा बांकपन.
Opinion
विश्वकर्मा की परंपरा के अनूठे वाहक विश्वेश्वरैया
Vishwakarma Puja: सीमेंट की कमी पूरी करने के लिए उन्होंने ‘मोर्टार’ तैयार किया, जो सीमेंट से भी ज्यादा मजबूत था. लेकिन मोर्टार से भी कहीं ज्यादा मजबूत थी उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और कहते हैं कि इसका ही फल था कि उनके बनाये बांधों, जलाशयों, फैक्टरियों, विश्वविद्यालयों और बाढ़ व कटाव से सुरक्षा व सिंचाई की प्रणालियों वगैरह की तरह उन्हें भी लंबी उम्र मिली.
Opinion
अपने गिरेबान में भी झांकने की जरूरत
Hindi Diwas 2024 : बेहतर हो कि हिंदी समाज यह समझे और इस स्थिति के कारण तलाशे कि क्यों उसकी हिंदी अभी भी महज विज्ञापन, बाजार व मनोरंजन आदि की ही भाषा बनी हुई है और बहुत आगे बढ़ती भी है, तो वोट मांगने की भाषा होकर रह जाती है, अकादमिक विचार-विमर्श व सत्ता-संचालन की भाषा नहीं बन पाती.
Opinion
Birth Anniversary : आचार्य विनोबा भावे के जन्मदिन पर पढ़ें, कृष्ण प्रताप सिंह का...
Birth Anniversary : वर्ष 1895 में, 11 सितंबर को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के गागोदा गांव के एक धर्मपरायण चितपावन ब्राह्मण परिवार में विनोबा भावे का जन्म हुआ.
Opinion
डॉ राधाकृष्णन: सहजता में गुरुता, शिक्षक दिवस पर पढ़ें कृष्ण प्रताप सिंह का खास...
Dr Sarvepalli Radhakrishnan राधाकृष्णन ने उन्हें सम्राट अशोक की कहानी सुनायी. आशय यह था कि अपनी इस मान्यता के गुरूर में फूले-फूले मत फिरिये कि सत्ता बंदूक की नली से निकलती है. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने अपनी ‘स्मरणांजलि’ नामक कृति में इस प्रसंग का रोचक वर्णन किया है.
Opinion
जयंती विशेष : जिंदगी के शायर थे फिराक गोरखपुरी
हिंदुस्तानियत के अलबेले पैरोकार और नाना परतों वाली निराली शख्सियत के स्वामी’- मीर और गालिब के बाद के उर्दू के सबसे बड़े शायर और आलोचक फिराक गोरखपुरी की बाबत एक वाक्य में कुछ इसी तरह बताया जा सकता है.