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कृष्ण प्रताप

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ऐसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखे नाहिं

समाजवादी विचारक डॉ राममनोहर लोहिया ने अपने निबंध ‘राम, कृष्ण और शिव’ में शिव और कृष्ण के साथ राम को भारत में पूर्णता के तीन महान स्वप्नों में ऐसे ही थोड़े शामिल किया और कहा है कि उनमें भारत की उदासी और रंगीन सपने एक साथ प्रतिबिंबित होते हैं. राम का जीवन किसी का कुछ भी हड़पे बिना फलने की कहानी है.

अयोध्या : बदल रहा है धर्मनगरी का रूप-रंग

अयोध्या में रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण जोरों पर है. उम्मीद है कि अगले जनवरी में जब उसे श्रद्धालुओं के लिए खोला जायेगा, तो वहां भारी जनसमुद्र उमड़ेगा. इसके मद्देनजर धर्मनगरी को नया रूप-रंग देने के लिए उसकी सड़कों को चौड़ी करने की कवायदें चल ही रही हैं.

कैसी आजादी चाहते थे चंद्रशेखर आजाद

आजाद साथी क्रांतिकारियों की शहादत के बाद भी निराश नहीं ही हुए थे. क्रूर दमन के बीच 1928 में उन्होंने अपने संगठन ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में ‘सोशलिस्ट’ शब्द जोड़ा और उसके कमांडर-इन-चीफ बने. तब उन्होंने ऐलान किया था कि ‘हमारी लड़ाई आखिरी फैसला होने तक जारी रहेगी और वह फैसला है जीत या मौत.’

Abul Kalam Azad Death Anniversary: जिन्ना के सबसे प्रबल विरोधी थे मौलाना आजाद, जानें...

जब मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना अपना घातक द्विराष्ट्र सिद्धांत लेकर आगे बढ़े और मुसलमानों के लिए अलग पाकिस्तान की मांग करने लगे, तो मौलाना अबुल कलाम ने दृढ़ता से उनका विरोध किया.

महात्मा गांधी का जीवन ही उनका संदेश

गांधी की असाधारण साधारणता से अभिभूत होकर महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि भविष्य की पीढ़ियों को इस पर विश्वास करने में बहुत मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना उनके जैसा कोई व्यक्ति भी कभी इस धरती पर आया था.

राष्ट्रीय चेतना के शायर थे चकबस्त

चकबस्त की कई रचनाओं में मीर अनीस के मर्सियों का अक्स नजर आने लगा था. पर सच पूछिए तो उनकी काव्य प्रतिभा की जड़ें उनकी राष्ट्रीयता की भावना में ही है.

डॉ लोहिया के ‘निराशा के कर्तव्य’

डॉ लोहिया ने कहा था कि हमारे यहां जाति प्रथा गैर-बराबरी को मंत्र की ताकत दे देती है. और, देश की जनता गैर-बराबरी को इस डर से स्वीकार किये रहती है कि उस पर ताकत का इस्तेमाल हो जायेगा.

निखरते पर्यावरण के सबक

कोरोना के कहर से दुनिया के अनेक विकसित और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर आघात के आसार हैं. दुर्भाग्य से दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन झेलने को अभिशप्त हमारा देश भी इनमें शामिल है

शलभ के निकट समर भूमि थी दुनिया

भारतीय समाज और राजनीति में क्रांति का स्वप्न देखनेवाले भावुक, सरल और बेहद ईमानदार कवि के रूप में शलभ की आभा ऐसी निर्मल थी कि लोगों को उनमें कबीर की अक्खड़ता, नजरूल की क्रांतिचेतना और निराला का ओज एक साथ नजर आते थे.
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