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क्षमा शर्मा
वरिष्ठ टिप्पणीकार
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Opinion
नयी उम्मीदों और नये संकल्पों का वर्ष
Happy New Year 2025 : फिर से नया साल आ गया है. कई लोगों की पोस्ट फेसबुक पर देखती हूं, तो वे नवंबर-दिसंबर से ही कहने लगते हैं कि आने वाले साल में टाइम टेबल बनाकर काम करेंगे. ये बीते वर्ष से लिये गये सबक होंगे, क्योंकि इस साल कई महत्वपूर्ण काम छूट गये.
Opinion
महिलाओं की तरह पुरुषों के लिए भी एक आयोग बने
Section 498A : पत्नी ने अतुल सुभाष पर दहेज की धारा 498 ए के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया था. उनके परिवार वालों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करायी गयी थी. सुभाष का कहना था कि जिस बच्चे के लिए वह 40 हजार रुपये महीने दे रहे हैं, उसकी शक्ल तक उन्हें याद नहीं है. पत्नी बच्चे से कभी मिलने नहीं देती.
Opinion
Child marriage : बाल विवाह मुक्त भारत बनाने की तैयारी, पढ़ें क्षमा शर्मा का...
Child Marriage In India : लड़कियों के प्रति माता-पिता और समाज की उपेक्षा और लड़कियों को बोझ माने जाने के कारण जैसे-तैसे उसे निपटाना बाल विवाह का बड़ा कारण है. एक सर्वे के अनुसार पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा में 40 प्रतिशत लड़कियों का विवाह अट्ठारह वर्ष से पहले हो जाता है.
Opinion
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का आकर्षण और मधुर यादें
Shri Krishna Janmashtami: कृष्ण का जीवन विपत्तियों से भरा हुआ भी है, जहां अपने ही सगे मामा के डर से उन्हें जन्म लेते ही माता-पिता से अलग होना पड़ता है. जन्म भी कहां हुआ- कारागार में. फिर महाभारत का युद्ध.
Opinion
महिला नेताओं के प्रति निंदनीय मर्दवादी नजरिया
औरतों ने लंबी लड़ाई के बाद इस छवि को तोड़ा है कि उनकी प्रतिभा मात्र चौके-चूल्हे तक ही सीमित रह सकती है. लेकिन स्त्री की आजादी का दम भरने वाले लोग जैसे ही किसी स्त्री को शासक की हैसियत में देखते हैं.
Opinion
होली मनाएं सबके साथ
मिल कर उत्सव मनाना हमें बहुत सी चिंताओं से मुक्त करता है. आनंद की भावना जगाता है. जो लोग बहुत दिनों से नहीं मिले, उनसे भी मिलने को प्रेरित करता है.
Opinion
अकेली कामकाजी स्त्रियों के लिए सुरक्षा बड़ा मुद्दा
कायदे से तो जब सरकारों ने यह लक्ष्य तय कर रखा है कि उन्हें हर लड़की को न केवल शिक्षित करना है, बल्कि अपने पैरों पर भी उसे खड़ा करना है.
Opinion
अपने बुजुर्गों की भी चिंता करे सरकार
स्विट्जरलैंड के बुजुर्गों को देखकर मन में बड़ी खुशी होती है कि उम्र के किसी भी मोड़ पर समाज और सरकारें उन्हें अकेला नहीं छोड़तीं. क्या हम भी ऐसा कर सकते हैं. जब हम बुजुर्गों को देवता स्वरूप कहते हैं, तो कम से कम उनके मनुष्य होने के बुनियादी अधिकारों को तो बचाएं.
Badi Khabar
सबसे अलग नाम रखने का जुनून
सबसे अलग होने के तर्क में दरअसल श्रेष्ठ होने और दिखने की भावना भी छिपी होती है. समय के साथ यह भावना बढ़ती ही जाती है. इस सबसे अलग दिखने की चाह में ऐसे नाम भी रख लिये जाते हैं, जिनका अर्थ किसी को मालूम नहीं होता या बार-बार अर्थ पूछना पड़ता है.