11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

कुमार प्रशांत

Browse Articles By the Author

‘क’ से कोरोना नहीं, ‘क’ से करुणा

अपनी रोज की चिर-परिचित दुनिया अपनी ही आंखों से बदली हुई, बदलती हुई दिखायी दे रही है. कल तक जो शक्ति के घमंड में मगरूर थे, आज शक्तिहीन याचक से अधिक व अलग कुछ भी बचे नहीं हैं. बच रहे हैं तो सिर्फ आंकड़े- मरने के और मरने से अब तक बचे रहने के. कोई हाथ जोड़ कर माफी मांग रहा है, जबकि उसकी सूरत व सीरत से माफी का कोई मेल बैठता नहीं है.

सुनिए, कुछ कहते हैं ये तूफान

कोई भी तूफान, फिर उसका नाम अम्फान हो कि निसर्ग कि कोरोना, गुजर नहीं जाता है, कमजोर नहीं पड़ जाता है. ऊंची अावाज में अपना संदेश देकर चला जाता है- फिर से लौट अाने के लिए.

उतारना होगा चीनी बुखार

दुनिया हमारे जैसी बन जाये, तब हम अपनी तरह से अपना काम करेंगे, ऐसा नहीं होता है. दुनिया जैसी है, उसमें ही अपना हित साधना सफल डिप्लोमेसी होती है.

गांधी रास्ता भी हैं, संकल्प भी

‘कालों का जीवन भी मतलब रखता है’ वाली मुहिम में शामिल लोग गांधी की मूर्तियां भले तोड़ें या न तोड़ें, पर गांधी को कभी न छोड़ें, क्योंकि गांधी के बिना आत्म स्वाभिमान की लड़ाई में वे मार भी खायेंगे और हार भी.

रोशनी राहत भी देती थी, डराती भी थी

रोज दिन में नये जख्म मिलते और उतने ही आंसू निकलते थे. रोशनी राहत भी देती थी और डराती भी थी. रात का ख्याल भय से भर देता था. अब यह सब याद कर रहा हूं तो पाता हूं कि यह घायल मन की भटकन के साथ घाव की पीड़ा भी थी.

सुनें हांगकांग के लोकतंत्र की दस्तक

सुनें हांगकांग के लोकतंत्र की दस्तक

निशाने पर राहुल गांधी

निशाने पर राहुल गांधी

लोकतंत्र से नेपाल का सामना

लोकतंत्र से नेपाल का सामना

अमेरिका में नये युग की शुरुआत

बाइडेन के भाषण में असाधारण थी अनुभव की लकीरों से भरे उनके अायुवृद्ध चेहरे से झलकती ईमानदारी. वे जो कह रहे थे, मन से कह रहे थे.
ऐप पर पढें