* मुख्यमंत्री की सेवायात्रा के एक साल हो गये पूरे
।। रितेश ।।
मोतिहारी : जिले में मुख्यमंत्री की सेवा यात्रा की पहली वर्षगांठ बीत गयी. उनकी यात्रा को पदाधिकारी कब के भूल चुके है. यात्रा के दौरान आयोजित जनता दरबार के लंबित परिवाद पत्र पदाधिकारी के सुस्ती को बयां कर रहा है.
यात्रा के एक वर्ष बाद भी करीब 50 प्रतिशत परिवाद विभिन्न पदाधिकारी के पास निष्पादन को लंबित है. प्रतिमाह इसकी समीक्षा होती रही है, लेकिन परिणाम शून्य. कई माह से आंकड़ा स्थिर बना है. घटने का नाम नहीं ले रहा. परिवादों को लंबित रखने वाले में कई जिले के जवाबदेह पदाधिकारी भी है. कुछ ऐसे भी है, जिन पर विधि व्यवस्था का दायित्व है. जिले के अमूमन वरीय पदाधिकारी के पास परिवाद लंबित है.
बता दे कि सीएम के जनता दरबार में कुल 1890 परिवाद आये थे. इनमें 991 का निष्पादन शेष है. हालांकि, कुछ ऐसे भी है, जो कार्रवाई की सुधि लेने अभी भी जन संपर्क कार्यालय पहुंचते हैं. शायद उनकी जिज्ञासा अभी जिंदा है.
इन्हीं आवेदकों में एक ने बताया कि उसने जनता दरबार में धक्का मुक्की कर बड़े अरमान से आवेदन दिया था. सोचा था कि कार्रवाई होगी. लेकिन दरबार बीतने के बाद कोई पूछने तक नहीं आया. हार पाछ कर उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. आवेदनों के निष्पादन की गति कछुआ व खरहा के कहानी को झुठला दिया है. जितने बड़े पदाधिकारी, उतनी धीमी चाल. पकड़ीदयाल एसडीओ व डीएसएलआर रक्सौल इसके उदाहरण मात्र है.
इन्होंने एक साल में एक भी आवेदन नही निपटाया है. इनके साथ जिला आपूर्ति पदाधिकारी, डाक, अधीक्षक, डीएसएलआर अरेराज, अधीक्षक अभियंता विद्युत प्रमंडल, जिला शस्त्र दंडाधिकारी, निदेशक डीआरडीए, सरीखे पदाधिकारी कदमताल कर रहे है. उनके पीछे जिला नजारत उप समाहर्ता, एसडीओ अरेराज, एसडीओ रक्सौल, एसडीओ चकिया आदि चल रहे है. बीडीओ, सीओ सहित अन्य कक्षीय पदाधिकारी की बात तो निराली है. उनके समक्ष शत प्रतिशत परिवाद लंबित है.
* जितने बड़े पदाधिकारी, उतनी धीमी रफ्तार
* पदाधिकारी आवेदनों के निष्पादन में नहीं ले रहे दिलचस्पी
* कई पदाधिकारी के समक्ष लंबित है शत प्रतिशत परिवाद
– विलंब करने वाले पदाधिकारी को सख्त हिदायत दी गयी है. उन्हें स्मारपत्र देकर परिवाद का निष्पादन करने को कहा गया है. देरी हुई, तो कार्रवाई तय है.
मुकेश रंजन, प्रभारी पदाधिकारी
जिला जन शिकायत कोषांग, मोतिहारी