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समय पर नहीं होती सुनवाई

दाखिल-खारिज के हजारों आवेदन लंबितसासाराम (कार्यालय) : सरकार ने जमीनों की बंदोबस्ती और खरीद-बिक्री को ले नये सिरे से म्यूटेशन यानी दाखिल-खारिज व्यवस्था को भी लोक सेवा के अधिकार अधिनियम में शामिल तो कर दिया गया, लेकिन तेज गति से सुनवाई नहीं होने की शिकायत मिलती रहती है. इससे भी दुखद स्थिति तब होती है […]

दाखिल-खारिज के हजारों आवेदन लंबित
सासाराम (कार्यालय) : सरकार ने जमीनों की बंदोबस्ती और खरीद-बिक्री को ले नये सिरे से म्यूटेशन यानी दाखिल-खारिज व्यवस्था को भी लोक सेवा के अधिकार अधिनियम में शामिल तो कर दिया गया, लेकिन तेज गति से सुनवाई नहीं होने की शिकायत मिलती रहती है.

इससे भी दुखद स्थिति तब होती है जब दाखिल-खारिज के लिए दायर आवेदनों में से बड़े पैमाने पर आवेदन खारिज कर दिये जाते हैं. केवल रोहतास में ही विभिन्न प्रखंडों में करीब 2000 से ज्यादा आवेदन अस्वीकृत कर दिये गये हैं. यह स्थिति तब है जब म्यूटेशन को लोक सेवा के अधिकार के अंतर्गत रखा गया है.

जहां आपत्ति नहीं होने पर 15 दिनों में सुनवाई करने का नियम है. अगर आपत्ति है तो अधिकतम 60 दिनों के भीतर दायर आवेदनों को निष्पादित करना होता है. खासकर दाखिल-खारिज को लेकर आम लोगों को बिना ब्लॉक के चक्कर लगाये आसानी से काम नहीं होता है. डीएम को इसके संबंध में पत्र लिख जवाब मांगा है.

राजस्व एवं भूमि सुधार के प्रधान सचिव डॉ सी अशोक वर्धन ने पत्रंक 15/115 द्वारा रोहतास के डीएम से लंबित व रद्द हुए आवेदन पत्रों की गहन जांच कर पर्याप्त कारण सहित रिपोर्ट 15 दिनों के अंदर मांगा है. पत्र में यह विशेष रूप से निर्देशित है कि किन कारणों के आधार पर आवेदनों का निबटारा नहीं हो सका, कई आवेदन आवश्यक दस्तावेजों या उचित कागजात के अभाव में खारिज किये गये हैं.

पत्र में दाखिल-खारिज से संबंधित आनेवाली समस्याओं को भी रेखांकित करने का निर्देश शामिल है. खारिज किये गये कुछ आवेदनों को नमूने के तौर पर लेकर जांच रिपोर्ट मांगी गयी है.

समय का भी पालन नहीं

पिछले 16 मार्च, 2012 से 10 अप्रैल, 2013 तक सिर्फ रोहतास में 56234 आवेदन आये, जिनमें 54219 आवेदनों का निष्पादन हुआ. इसमें भी तयशुदा समय में मात्र 31524 आवेदनों को निबटाया जा सका. बाकी आवेदनों के निबटारे में अधिक समय तो लगा ही इनमें से भी करीब 6994 आवेदनों का निष्पादन समय सीमा के काफी बाद हो सका.

इधर, 2015 आवेदनों को खारिज कर दिया गया. विभागीय प्रधान सचिव ने इसी बिंदु को उठाते हुए डीएम से पूछा है कि आखिर किस आधार पर इतने आवेदनों को रद्द किया गया. विभागीय अधिकारी ने बताया कि आम तौर आवेदनों के रद्द होने के लिए जिम्मेवार लोग ही होते हैं, जो उचित कागजात समय से जमा नहीं करते या जमाबंदी या विक्रेता की सही जानकारी नहीं दे पाते हैं.

उसमें भी स्थिति तब बिगड़ती है जब जमाबंदी के वास्तविक भूमि की जानकारी नहीं मिल पाती है. स्थिति चाहे जो हो लेकिन लोक सेवा के अधिकार का समुचित लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है. कुछ यही हाल है जिले में एलपीसी(भूमि आधिपत्य प्रमाण पत्र) को लेकर भी है.

यहां एलपीसी के लिए विभिन्न प्रखंडों में 44245 आवेदन दायर हुए जिसमें 43817 आवेदनों का निष्पादन हुआ. समय सीमा के अंदर 30168 आवेदनों का निबटारा हुआ तो समय सीमा के अंदर 30168 आवेदनों को निबटाया जा सका. इसमें भी 1438 आवेदनों को काफी विलंब से निष्पादित किया गया. जबकि 330 आवेदन अभी भी विभिन्न प्रखंडों में लंबित हैं.

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