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मनोज चतुर्वेदी
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Opinion
सालों तक याद रहेगा कोहली के बल्ले का जादू
विराट कोहली के करियर का यह चौथा विश्व कप सेमीफाइनल था और वह पिछले तीनों मौकों पर दहाई अंकों में भी रन नहीं बना सके थे. पर उन्होंने अपनी इस शतकीय पारी से भारत को फाइनल की राह दिखाने में अहम भूमिका निभाकर बता दिया कि उन्हें किंग कोहली क्यों कहा जाता है.
Opinion
भुलाये नहीं भूलेगा मैक्सवेल का यह जज्बा
मैक्सवेल जानते थे कि एक बार तारतम्यता टूट गयी, फिर संभलना मुश्किल हो जायेगा. इस कारण उन्होंने कभी भी अपनी पीड़ा को अपनी हिम्मत पर हावी नहीं होने दिया. पैरों का साथ नहीं देने पर उन्होंने दौड़कर रन लेना लगभग बंद ही कर दिया. खड़े-खड़े ही चौके और छक्के लगाकर लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहे.
Badi Khabar
बिशन सिंह बेदी : एक शानदार क्रिकेटर, एक जानदार इंसान
मानवीयता उनमें कूट-कूटकर भरी थी. उनकी गेंद पर कोई बल्लेबाज छक्का लगा देता था, तो वह मायूस होने के बजाय उस शॉट के लिए बल्लेबाज की प्रशंसा किया करते थे. वह साफगोई में विश्वास रखते थे. किसी खिलाड़ी से मतभेद होने पर भी उसकी खूबियों की प्रशंसा करने में पीछे नहीं रहते थे.
Opinion
ओलिंपिक व क्रिकेट दोनों को होगा लाभ
क्रिकेट को ओलिंपिक खेलों का स्थायी हिस्सा बनाने के लिए जरूरी है कि लॉस एंजिल्स में इसका आयोजन सफल हो. आयोजन सफल तभी हो सकता है, जब भाग लेने वाली टीमों के सभी स्टार खिलाड़ी भाग लें. ऐसा करने के लिए आइसीसी को ओलिंपिक क्रिकेट को विंडो देनी होगी.
Badi Khabar
एशियाई खेलों में भारत शतक के पार
भारत ने एथलेटिक्स में डंका बजाने का काम नीरज चोपड़ा की अगुआई में किया. वह जेवेलिन थ्रो में 88.88 मीटर भाला फेंक कर स्वर्ण की रक्षा करने में सफल रहे. नीरज भारत की इस समय इकलौती शख्सियत हैं, जिनके पास एशियाई खेलों के अलावा ओलिंपिक, विश्व चैंपियनशिप के भी खिताब हैं. ऐसा एथलीट देश ने पहले कभी नहीं देखा.
Badi Khabar
एशियाई खेल में भारत का लक्ष्य है 100 पदक
हम पिछले खेलों में पदक तालिका में आठवें स्थान पर रहे थे. भारत यदि इस बार अपने स्वर्ण पदकों की संख्या को 24-25 तक पहुंचा दे तो वह चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया के बाद पांचवें स्थान पर आ सकता है. यह सुधार करना बहुत मुश्किल नहीं है.
Opinion
खेलों की दुनिया में आगे बढ़ता भारत
नीरज चोपड़ा और विश्वनाथन आनंद ने क्रमश: एथलेटिक्स और शतरंज की शक्ल बदल दी है. नीरज के पिछले ओलंपिक में जेवेलिन थ्रो का स्वर्ण पदक जीतने का ही कमाल है कि बुडापेस्ट में विश्व एथलेटिक्स की जेवेलिन स्पर्धा के फाइनल में भारत के तीन खिलाड़ियों ने जगह बनायी.