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नीरजा चौधरी

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पंजाब में कांग्रेस की चुनौतियां कायम

पंजाब में कांग्रेस ने लोगों को आमने-सामने खड़ा कर दिया है. दो दिनों में जो हुआ है, उससे यही लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी ही तरफ गोल कर दिया है.

कांग्रेस नेतृत्व पर उठते सवाल

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कांग्रेस में वैसी स्थिति में नहीं हैं कि अपनी मर्जी से फैसले कर सकें, जैसा कि भाजपा में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह कर सकते हैं.

कृषि कानूनों की वापसी के मायने

पीएम मोदी अपने निर्णयों से आसानी से पीछे नहीं हटते हैं. लिहाजा कृषि कानूनों के मामले में उनका यह फैसला महत्वपूर्ण हो जाता है.

चौंकानेवाले रहे उपचुनाव के नतीजे

लोकसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति अन्य पार्टियों के मुकाबले थोड़ी अधिक मजबूत प्रतीत होती है. अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो 2024 में भी चुनाव परिणाम भाजपा के ही पक्ष में आयेंगे.

उद्धव ठाकरे की वापसी आसान नहीं

अभी यह देखा जाना बाकी है कि क्या पार्टी संगठन का झुकाव भी इसी तरह शिंदे के पक्ष में होगा.

राष्ट्रपति चुनाव में कमजोर हुआ विपक्ष

यह स्पष्ट दिख रहा है कि भाजपा हिंदी पट्टी और पश्चिमी भारत के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में आक्रामकता के साथ अपने राजनीतिक विस्तार के लिए प्रयासरत है, लेकिन विपक्ष में एकता या रणनीति नहीं दिखती.

भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को उम्मीद

यात्राएं करने, लोगों के बीच जाने, उनकी बात जानने-समझने के अलावा उभार का कोई और रास्ता नहीं है. इस यात्रा का असर आखिरकार क्या होता है. इसी के साथ कांग्रेस में दो उल्लेखनीय घटनाक्रम भी चल रहे हैं. कांग्रेस से नेताओं का पलायन जारी है और पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है.

कायम है प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता

निश्चित रूप से कांग्रेस का बेहद निराशाजनक प्रदर्शन उसे और अधिक हतोत्साहित कर सकता है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का जीतना पार्टी के लिए महत्वपूर्ण संजीवनी है. अब यही उम्मीद की जा सकती है कि पार्टी गंभीरतापूर्वक इन नतीजों का विश्लेषण करे तथा अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास करे.
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