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पंकज चतुर्वेदी

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पानी बचाना है, तो तालाब बचाएं

पानी बचाना है, तो तालाब बचाएं

पक्षियों की मौत की हो पड़ताल

पक्षियों पर मंडरा रहा खतरा शिकार से कहीं ज्यादा विकास की नयी अवधारणा के कारण उत्पन्न हुआ है. कई कारक हैं, जिनके चलते पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है और अब पक्षियों में संक्रमण का फैलना चिंताजनक है.

कोरोना से नहीं डरतीं किताबें

बीते एक साल में लेखकों और प्रकाशकों ने यह भांप लिया कि कोरोना के चलते लोगों की पठन अभिरुचि, जीवन शैली, अर्थतंत्र आदि में आमूल-चूल बदलाव होंगे.

अल नीनो का मॉनसून पर प्रभाव

भारत के मौसम में बदलाव के सबसे बड़े कारण अल नीनो और ला नीना के प्रभाव ही होते है़ं अल नीनो का संबंध भारत व ऑस्ट्रेलिया में गर्मी और सूखा पड़ने से है़ वहीं ला नीना अच्छे मानसून का वाहक होता है़

धरती बचाने में योगदान करें

जिन शहरों- दिल्ली, मुंबई, प्रयागराज, लखनऊ, इंदौर, भोपाल, पुणे आदि- में महामारी इस बार सबसे घातक है, वहां की वायु गुणवत्ता बीते कई महीनों से बेहद गंभीर है.

तेजी से गरीबी बढ़ाता कोरोना

हम जरूरत के मुताबिक डॉक्टर तैयार नहीं कर पा रहे है, दूसरा बड़ी आबादी न तो स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त जागरूक है और न ही उनके पास आकस्मिक चिकित्सा के लिए कोई बीमा या अर्थ की व्यवस्था है.

‘ठनका’ से निबटने की चुनौती

आकाशीय बिजली की शुरुआत बादलों के एक तूफान के रूप में एकत्र होने से होती है. बढ़ते तूफान के केंद्र में, बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े और पानी की ठंडी बूंदें आपस में टकराती हैं और इनके बीच विपरीत ध्रुवों के विद्युत कणों का प्रवाह होता है. वायु के अच्छा संवाहक नहीं होने से विद्युत आवेश में बाधाएं आती हैं.

प्लास्टिक की वैकल्पिक व्यवस्था जरूरी

देशभर के नगर निगमों के बजट का बड़ा हिस्सा सीवर व नालों की सफाई में जाता है और परिणाम-शून्य ही रहते हैं. इसका बड़ा कारण पूरे मल-जल प्रणाली में पॉलीथीन का अंबार होना है.

लोकभाषा के शब्दों से आयेगी समृद्धि

यदि हिंदी को वास्तव में एक जीवंत भाषा बना कर रखना है, तो शब्दों का लेन-देन पहले अपनी बोलियों व फिर भाषाओं से हो, वरना हिंदी एक नारे, सम्मेलन, बैनर, उत्सव की भाषा बनी रहेगी.
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