21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

पंकज चतुर्वेदी

Browse Articles By the Author

जंगलों पर भारी कंक्रीट साम्राज्य

कोविड ने बता दिया है कि यदि धरती पर इंसान को सुख से जीना है, तो जंगल और वन्य जीव को उनके नैसर्गिक परिवेश में जीने का अवसर देना ही होगा.

जीव-जंतुओं के जीने का अधिकार

कायनात ने एक शानदार सह-अस्तित्व और संतुलन का चक्र बनाया. हमारे पूर्वज यूं ही सांप या बैल या सिंह या मयूर की पूजा नहीं करते थे. छोटे-छोटे अदृश्य कीट भी उतने ही अनिवार्य हैं, जितने कि इंसान.

चेतावनी है मौसम का बिगड़ता मिजाज

अचानक चरम मौसम की मार, तटीय इलाकों में भयानक चक्रवातों का आना, बिजली गिरने की घटनाओं में इजाफा, से स्पष्ट है कि तापमान बढ़ोतरी और जलवायु परिवर्तन का खतरा अब दुनिया के साथ-साथ भारत के सिर पर सवार हो गया है.

झारखंड की भाषाओं का संरक्षण

सुदूर आंचलिक व अपनी आदिम परंपराओं के साथ जी रही कई जनजातियों पर जंगल नष्ट , जीवकोपार्जन के पारंपरिक साधन समाप्त होने, शहरीकरण, बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधा के अभाव के चलते अस्तित्व का संकट है.

बिजली खर्च करने में संयम

यदि ऊर्जा का किफायती इस्तेमाल सुनिश्चित किये बगैर ऊर्जा के उत्पादन की मात्रा बढ़ायी जाती रही, तो इस कार्य में खर्च किया जा रहा पैसा व्यर्थ जाने की संभावना है और इसका विषम प्रभाव अर्थव्यवस्था के विकास पर पड़ेगा.

दूरस्थ अंचलों के पुस्तक मेले

जिस तरह लोकतंत्र विकल्प देता है अपनी पसंद की विचारधारा को चुन कर शासन सौंपने का, ठीक उसी तरह पुस्तक मेले भी विकल्प देते हैं पाठक को अपने पसंद के शब्द चुनने के.

बिगड़ रही है नदियों की सेहत

सरकारी अध्ययन में 34 नदियों में बायो केमिकल आक्सीजन डिमांड यानी बीओडी की मात्र 30 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पायी गयी. यह नदियों के अस्तित्व के लिए बड़ा संकट है.

स्थानीय इतिहास से बेपरवाही न हो

अपनी स्थानीयता, अपने शहर और पूर्वजों पर गर्व करनेवाला समाज ही अपने परिवेश और सरकारी या निजी संपत्ति से जुड़ाव महसूस करता है और उसे सहेजने के प्रति संवेदनशील बनता है.

पूर्वोत्तर में शरणार्थियों का संकट

मिजोरम और मणिपुर में प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें शरणार्थियों को सुरक्षित स्थान देने का समर्थन किया गया है. मिजोरम की कई जनजातियों और सीमाई इलाके के बड़े चिन समुदाय में रोटी-बेटी के ताल्लुकात हैं.
ऐप पर पढें