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पंकज चतुर्वेदी
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Opinion
लोकभाषा के शब्दों से आयेगी समृद्धि
यदि हिंदी को वास्तव में एक जीवंत भाषा बना कर रखना है, तो शब्दों का लेन-देन पहले अपनी बोलियों व फिर भाषाओं से हो, वरना हिंदी एक नारे, सम्मेलन, बैनर, उत्सव की भाषा बनी रहेगी.
Opinion
जंगलों पर भारी कंक्रीट साम्राज्य
कोविड ने बता दिया है कि यदि धरती पर इंसान को सुख से जीना है, तो जंगल और वन्य जीव को उनके नैसर्गिक परिवेश में जीने का अवसर देना ही होगा.
Opinion
जीव-जंतुओं के जीने का अधिकार
कायनात ने एक शानदार सह-अस्तित्व और संतुलन का चक्र बनाया. हमारे पूर्वज यूं ही सांप या बैल या सिंह या मयूर की पूजा नहीं करते थे. छोटे-छोटे अदृश्य कीट भी उतने ही अनिवार्य हैं, जितने कि इंसान.
Opinion
चेतावनी है मौसम का बिगड़ता मिजाज
अचानक चरम मौसम की मार, तटीय इलाकों में भयानक चक्रवातों का आना, बिजली गिरने की घटनाओं में इजाफा, से स्पष्ट है कि तापमान बढ़ोतरी और जलवायु परिवर्तन का खतरा अब दुनिया के साथ-साथ भारत के सिर पर सवार हो गया है.
Opinion
झारखंड की भाषाओं का संरक्षण
सुदूर आंचलिक व अपनी आदिम परंपराओं के साथ जी रही कई जनजातियों पर जंगल नष्ट , जीवकोपार्जन के पारंपरिक साधन समाप्त होने, शहरीकरण, बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधा के अभाव के चलते अस्तित्व का संकट है.
Opinion
बिजली खर्च करने में संयम
यदि ऊर्जा का किफायती इस्तेमाल सुनिश्चित किये बगैर ऊर्जा के उत्पादन की मात्रा बढ़ायी जाती रही, तो इस कार्य में खर्च किया जा रहा पैसा व्यर्थ जाने की संभावना है और इसका विषम प्रभाव अर्थव्यवस्था के विकास पर पड़ेगा.
Opinion
दूरस्थ अंचलों के पुस्तक मेले
जिस तरह लोकतंत्र विकल्प देता है अपनी पसंद की विचारधारा को चुन कर शासन सौंपने का, ठीक उसी तरह पुस्तक मेले भी विकल्प देते हैं पाठक को अपने पसंद के शब्द चुनने के.
Opinion
बिगड़ रही है नदियों की सेहत
सरकारी अध्ययन में 34 नदियों में बायो केमिकल आक्सीजन डिमांड यानी बीओडी की मात्र 30 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पायी गयी. यह नदियों के अस्तित्व के लिए बड़ा संकट है.
Opinion
स्थानीय इतिहास से बेपरवाही न हो
अपनी स्थानीयता, अपने शहर और पूर्वजों पर गर्व करनेवाला समाज ही अपने परिवेश और सरकारी या निजी संपत्ति से जुड़ाव महसूस करता है और उसे सहेजने के प्रति संवेदनशील बनता है.