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प्रभु चावला

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विदेशी मीडिया की नकारात्मक रिपोर्टिंग

स्पष्ट रूप से सरकार विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग से असहज है. घरेलू मीडिया की स्थिति बिलकुल अलग है. सरकार का मानना है कि ये रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और इनमें तोड़-मरोड़कर विचार पेश किये जा रहे हैं

सहयोगी दलों के सहारे है कांग्रेस पार्टी

चार दशक से पार्टी में नेतृत्व पैदा करने का तंत्र कमजोर होता जा रहा है. उसके पास एक ऐसा नेता नहीं है, जो विभिन्न जातियों, आस्थाओं और सामाजिक समुदायों से बने समावेशी भारत के साथ सफलता से जुड़ सके.

राजनीति में अनुकरण की रणनीति

भाजपा ने सारा दारोमदार मोदी पर छोड़ दिया है. विजेता के निर्धारण में महाराष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. पूर्वी भारत में छोटे राज्यों में भाजपा मजबूत है, पर ओडिशा में मुकाबला होगा.

दांव पर क्षेत्रीय नेताओं का भविष्य

कांग्रेस अगली लोकसभा के गणित और नये भारत की राजनीति को अकेले निर्धारित नहीं कर सकती.

अपने मुख्यमंत्रियों से भाजपा की अपेक्षाएं

प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के बजाय अपने व्यक्तित्व से गतिशील होकर तीसरे कार्यकाल के लिए प्रचार में हैं, फिर भी उनकी नजर क्षेत्रीय नेताओं और मुख्यमंत्रियों पर है, जिन्हें उन्होंने सीधे चुना है.

भाजपा को अपनी जीत का भरोसा

यह कहकर कि उनकी पार्टी और सहयोगी दल 400 सीटें जीतेंगे, मोदी ने संख्या के आख्यान को निर्देशित कर दिया है.

बुजुर्गों की समस्याओं पर भी हो ध्यान

एक प्रावधान है कि हर महीने बुजुर्ग व्यक्ति को एक-डेढ़ हजार रुपये मिलेंगे. इस मामूली रकम को पाने के लिए भी उम्रदराज लोगों को स्थानीय अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं, जो उन्हें अपमान से प्रताड़ित करते हैं या रिश्वत मांगते हैं. पेंशन के लिए शायद ही किसी राज्य ने खाते में सीधे हस्तांतरण की व्यवस्था की है.

नया भारत गढ़ रहे हैं नरेंद्र मोदी

मोदी के इन प्रयासों के पीछे प्रेरक सिद्धांत देश को वास्तव में हिंदू राष्ट्र बनाना सुनिश्चित करना है, जहां सभी धर्मों के लोगों के समान अधिकार हों, पर किसी को अतिरिक्त विशेषाधिकार न मिले. ‘मोदी है तो मुमकिन है’ परिवर्तन का युद्ध घोष होगा.

राज्यसभा में मनोनयन पर हो चिंतन

प्रारंभ में राज्यसभा में विशिष्ट लोगों को मनोनीत करने का उद्देश्य सदन के बौद्धिक स्तर को बढ़ाना था. एक अध्ययन में रेखांकित किया गया है कि बीते 12 वर्षों में मनोनीत सदस्य ज्यादातर अनुपस्थित रहे हैं. सचिन तेंदुलकर की उपस्थिति 22 और दारा सिंह की 57 प्रतिशत रही थी.
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