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प्रभु चावला

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देशभक्ति को षड्यंत्रकारियों से बचाया जाए

'अमृतधारी' सिख के रूप में अमृतपाल के अचानक सामने आने की परिघटना बेहद नाटकीय है. कभी बिना दाढ़ी-मूंछों वाला और बीच में ही पढ़ाई छोड़ देने वाला व्यक्ति, जो दुबई में ट्रक चलाता था, अचानक भिंडरावाले का अवतार कैसे बन गया

राहुल गांधी का महत्व बढ़ाती भाजपा

धीरे-धीरे राहुल गांधी की छवि एक ऐसे नेता की बनती जा रही है, जिसे प्रताड़ित किया जा रहा हो. यह उनकी छवि के लिए बड़ी उपलब्धि है. भाजपा के रणनीतिकारों ने वैश्विक उदासीनता के बारे में राहुल गांधी के कहे को भारतीय मामलों में विदेशी हस्तक्षेप मांगना समझ लिया.

भयभीत मतदाताओं पर सुनक का भरोसा

अगर सुनक मध्यावधि चुनाव कराना चाहते हैं, तो राष्ट्रवादी भाषा उनकी कमजोर संभावनाओं को बल दे सकती है. क्या वे मोदी मॉडल से प्रेरित हैं? भाजपा की बढ़त का आधार नरेंद्र मोदी के करिश्मे, हिंदू पहचान पर जोर और आर्थिक वृद्धि है.

व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के जाल में विपक्ष

बीते नौ साल में गिरफ्तार नेताओं में 95 प्रतिशत से अधिक विपक्ष से हैं. इससे विपक्ष भले चिंतित हो, लेकिन अभी भी उसके नेता अपने व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार कर सड़क पर उतरने के लिए तैयार नहीं हैं.

प्रधानमंत्री का चेहरा ही मुख्य चुनावी रणनीति

बीते पांच वर्षों से हर प्रचार सामग्री पर प्रधानमंत्री के साथ संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री की तस्वीर रहती आयी है. अब पहली बार राज्य और केंद्र की नौकरशाही भाजपा-शासित राज्यों में साथ काम करेगी ताकि विजन मोदी को ठीक से लागू किया जा सके.

जेपी नड्डा और भाजपा की तीसरी लहर

विनम्र और हंसमुख नड्डा को दबा देना आसान नहीं है. तीन दशक के सार्वजनिक जीवन में उन पर एक भी दाग नहीं है. वे सिद्धांतकार या वक्ता नहीं हैं, पर परखने में उनकी नजर कमाल की है

2024 का आम चुनाव और मोदी

पार्टी के भीतर के लोग महसूस करते हैं कि मोदी और शाह को एक राजनीतिक संरचना तथा एक प्रशासनिक वास्तु को खड़ा करना होगा, जो मोदी के तीसरे कार्यकाल को आगे बढ़ाये.

राहुल को अभी बहुत चलना होगा

भारत जोड़ो यात्रा ऐसे 200 से अधिक सीटों से गुजरी है, जहां कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है. लोकसभा में शतक बनाने के लिए कांग्रेस कम से कम 50 सीटें जीतने की आशा कर रही है.

आत्मसम्मान युक्त हो आत्मनिर्भर भारत

आठ साल बाद भी पुराने भारत के काम करने का पुराना तरीका बदला नहीं है. नौकरशाही में संकुचन नहीं आया है. सरकारी खर्च में 2016 के 12.5 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में 2021 में 16 प्रतिशत से अधिक की बढ़त हुई है.
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