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प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक

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अकल्पनीय ऊर्जा से भरे अमिताभ बच्चन

भारतीय सिनेमा के 110 साल के इतिहास में कुछ और भी अभिनेताओं ने 80 की आयु के बाद फिल्मों में काम किया, जैसे अशोक कुमार, देव आनंद और अब धर्मेंद्र भी. अशोक कुमार ने 2001 में जब दुनिया से कूच किया, तो उनकी उम्र 90 बरस थी

50 साल बाद भी अविस्मरणीय है ‘अभिमान’

भारतीय सिनेमा के इतिहास में 'अभिमान' एक कालजयी फिल्म बन गयी है. एक ऐसी फिल्म जिसका विषय और कहानी वैश्विक होने के साथ-साथ सदाबहार भी है.

बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं बेला बोस

बेला बोस बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं. कुशल अभिनेत्री के साथ मणिपुरी नृत्य में भी पारंगत थीं. पश्चिम से लेकर आदिवासी और लोक नृत्यों को भी बखूबी कर लेती थीं.

सफल रहा गोवा फिल्म समारोह

भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के हाईब्रिड आयोजन को महामारी के बावजूद जैसी सफलता मिली, वह निश्चित ही प्रशंसनीय है.

संतूर के सरताज पंडित शिवकुमार शर्मा का जाना

शिवकुमार शर्मा का संतूर सुनते हुए एहसास होता था कि हम कश्मीर की सुंदर वादियों में बैठे हुए हैं, जहां झरनों की कलकल है, तो पक्षियों की चहचहाट भी.

कान फिल्म समारोह में भारत पर निगाहें

सत्यजित रे का यह जन्म शताब्दी वर्ष है. उनकी कई फिल्में कान सहित विश्व के कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कृत होती रही हैं. उनकी ‘पाथेर पांचाली’ भी कान में सम्मानित हुई थी.

शानदार और दिलकश गायक थे केके

वे मीडिया और टीवी शो के साथ कभी-कभार मुश्किल से जुड़ते थे. तभी नाम से इतना मशहूर होने के बावजूद उनका चेहरा कम ही लोग पहचानते थे.

सबको हंसाने वाले राजू रुला गये

करीब 40 दिन राजू श्रीवास्तव ने मौत को खूब चकमा दिया. मानो वे मौत को भी अपने दिलचस्प हास्य से इतना उलझाये हुए थे कि वह भूल ही गयी कि उसे राजू को लेकर जाना है. लेकिन नियति के आगे किसी का बस नहीं चला.

आशा पारेख को फाल्के सम्मान

आशा पारेख ने समाज सेवा के लिए जहां ‘आशा पारेख अस्पताल’ को भी बरसों चलाया. वहीं सिने आर्टिस्ट कल्याण संस्था ‘सिंटा’ की भी वे पदाधिकारी रहीं. नृत्यकला के विकास के लिए भी वे अपना एक नृत्य विद्यालय ‘गुरुकुल’ चलाती रहीं. साथ ही, 1998 से 2001 तक वे फिल्म सेंसर बोर्ड की अध्यक्षा भी रहीं.
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